नई दिल्ली। अपनी पार्टी और सरकार की समय समय पर आलोचना करने वाले नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कुछ ऐसा कह दिया है, जो एक नया विवाद खड़ा कर सकता है। सुब्रमण्यम स्वामी ने देशभर में जेईई नीट की परीक्षाओं पर छिड़ी बहस को लेकर महाभारत के पात्रों से तुलना की है। स्वामी ने कहा है कि छात्र द्रौपदी हैं और मुख्यमंत्री कृष्ण। स्वामी ने परीक्षाओं के मसले पर खुद के दावे को सच और सही करार देते हुए अपने को विदुर की संज्ञा दी है। 



बीजेपी नेता ने जेईई नीट के मसले पर कहा है कि क्या जेईई और नीट परीक्षा के मामले में द्रौपदी की तरह ही छात्रों का चीरहरण नहीं हो रहा? स्वामी ने कहा है कि मुख्यमंत्री द्रौपदी (छात्रों) की रक्षा कर कृष्ण का किरदार निभा सकते हैं।



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स्वामी ने कहा है कि एक प्रोफ़ेसर के तौर पर उनके 60 वर्षों का अनुभव यह बताता है कि कुछ गलत हो रहा है। स्वामी ने लगातार जेईई नीट परीक्षा के मसले को लेकर बार बार सवाल उठाने के लिए खुद को विदुर कहा है। स्वामी ने कहा है कि मुझे विदुर जैसा महसूस हो रहा है। 





 



बयान में विवादित होने जैसा क्या है? 



दरअसल सुब्रमण्यम स्वामी ने महाभारत के द्रौपदी चीरहरण घटनाक्रम में तीन पात्रों का उल्लेख किया है। अब सवाल उह उठता है कि आखिर सुब्रह्मण्यम की नज़रों में द्रौपदी रूपी छात्रों का चीरहरण करने वाला कौन है ? सरकार या सुप्रीम कोर्ट? ज्ञात हो कि स्वामी अक्सर विवादित बयान देते रहते हैं। इससे पहले भी उन्होंने जेईई नीट परीक्षा के आयोजन को कांग्रेस सरकार के नसबंदी वाले कार्यक्रम जैसा बताया था।



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1 सितंबर से देशभर में जेईई की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं, जो कि 6 सितंबर तक चलेंगी। नीट की परीक्षा का आयोजन 13 सितंबर को होना है। इस दफा लगभग 25 लाख छात्रों को इन परीक्षाओं में शामिल होना है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वे किसी भी हालत में परीक्षाओं का आयोजन कर के मानेगी। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि हम नहीं चाहते कि छात्रों का एक साल बर्बाद हो। छात्रों के अभिभावक भी नहीं चाहते और शिक्षण संस्थानों ने भी कहा कि अगले साल दो बैच को एक साथ बिठाने और पढ़ानेलायक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है उनके पास। इसलिए सरकार ये परीक्षाएं किसी भी कीमत पर टालना नहीं चाहती है।



सुप्रीम कोर्ट ने भी परीक्षाओं को स्थगित करने की मांगवाली याचिका पर रोक लगा दी है। तो वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में गैर बीजेपी शासित 7 राज्यों के मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।