दिल्ली। राज्य सभा में जब विपक्ष नए कृषि विधेयकों का पुरजोर विरोध कर रहा था, उसी वक्त पंजाब और हरियाणा के किसान भी इन विधेयकों के खिलाफ मोर्चा खोल चुके थे। चौंकाने वाली बात यह है कि हरियाणा में प्रदर्शनकारी किसानों का साथ जननायक जनता पार्टी के दो विधायकों ने भी दिया। जेजेपी हरियाणा में बीजेपी सरकार को समर्थन दे रही है और पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं। 

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जेजेपी में बागी रुख अपनाने वाले इन दो विधायकों के नाम जोगी राम सिहाग और राम करण काला हैं। सिहाग बड़वाला से विधायक हैं और काला शाहाबाद से। सिहाग की विधानसभा में किसानों का वर्चस्व है और वे हिसार जिले के एक गांव में प्रदर्शनकारी किसानों का साथ देने पहुंचे। 

सिहाग ने यहां तक कह दिया कि अगर उनके विधानसभा के लोग इस्तीफा देने के लिए कहेंगे तो वे खुशी खुशी दे देंगे। यह बात उन्होंने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कही। 

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सिहाग ने कहा कि पहले वे इन विधेयकों के समर्थन में थे लेकिन बाद में जब उन्होंने विधेयकों के बारे में जानकारी इकट्ठा की तो वे प्रदर्शनकारी किसानों के साथ हो गए। सिहाग ने कहा कि वे इस मुद्दे को पार्टी बैठक में भी उठाएंगे। सिहाग ने कहा कि ये विधेयक कृषि मजदूरों को बहुत नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने विधेयकों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसानों को अब अपनी समूची फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बड़े पूंजीपति औने पौने दामों पर फसल खरीदेंगे। राज्य सरकार के पास भी कुछ नहीं बचेगा।

उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के पारित हो जाने के बाद आढ़ती भी नहीं बचेंगे क्योंकि वे तो सरकार के लिए किसानों से अनाज खरीदते हैं और अब सरकार तो फसल खरीदेगी नहीं। आढ़तियों के ना होने पर मंडी व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी। ऐसे में अगर कभी किसान को जरूरत के वक्त अनाज बेचने की जरूरत पड़ी तो वो अनाज कहां बेचेगा। मजबूरन उसे पूंजीपतियों के मन मुताबिक कीमत पर फसल बेचनी पड़ेगी।

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तीन में से दो कृषि विधेयक राज्य सभा में भी पारित हो चुके हैं और इस दौरान विपक्ष ने इनका पुरजोर विरोध किया। विधेयकों पर वोटिंग की मांग के बाद भी ध्वनि मत से पारित कराए जाने के कारण 12 विपक्षी पार्टियों ने राज्य सभा के उपसभापति के खिलाफ अविश्वास पेश किया है।

यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी के सहयोगी दलों ने इन विधेयकों को लेकर अपना विरोध जताया है। इससे पहले शिरोमणि अकाली दल के कोटे से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर इस्तीफा दे चुकी हैं। उनकी पार्टी ने भविष्य में केंद्र सरकार को समर्थन देने पर विचार करने की बात कही है। दूसरी तरफ जेजेपी ने हालांकि अधिकारी तौर पर इन विधेयकों को समर्थन दिया है। लेकिन दो विधयकों का यह बागी रुख पार्टी के भीतर मची उथल पुथल की तरफ इशारा कर रहा है।