तिरुवंतपुरम। केरल सरकार ने CBI को राज्य में जांच के लिए दी गई आम सहमति को वापस ले लिया है। अब राज्य में सीबीआई को किसी भी मामले की जांच करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। केरल से पहले बंगाल और महाराष्ट्र की सरकारें भी सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले चुकी हैं। विपक्षी दलों की सरकारें ऐसे कदम इसलिए उठा रही हैं, क्योंकि उन्हें केंद्र सरकार के इशारे पर सीबीआई का गलत इरादे से इस्तेमाल किए जाने की आशंका है।

सीपीआई के राज्य सचिव कोडियरी बालाकृष्णन ने केरल सरकार के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि पार्टी चाहती थी कि सरकार सीबीआई के दुरुपयोग को राजनीतिक हथियार के रूप में रोकने के लिए कानूनी विकल्पों पर गौर करे। “यहां तक ​​कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भी सीबीआई के राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के खिलाफ हैं। संघीय सिद्धांतों के अनुसार, राज्य स्तर के मामलों में जांच एजेंसी के बारे में फैसले करने का अधिकार राज्यों को है। 

केरल से पहले बंगाल, महाराष्ट्र और राजस्थान की सरकारें भी सीबीआई को जांच के लिए दी गई आम सहमति इन्हीं वजहों से वापस ले चुकी हैं। अक्टूबर में महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी-और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार ने भी सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले ली थी। राजस्थान सरकार भी जुलाई में ही ऐसा कदम उठा चुकी है। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार भी पहले ही ऐसा कर चुकी है। इन सभी राज्यों ने सीबीआई का इस्तेमाल बदले की भावना से और राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए किए जाने का आरोप लगाया था। आंध्र प्रदेश में भी 2018 में चंद्रबाबू नायडू की तत्कालीन सरकार ने सीबीआई को दी गई सहमति वापस ले ली थी, लेकिन जगन मोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पुरानी स्थिति फिर बहाल कर दी।