लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में 14 साल की गैंगरेप पीड़िता ने पुलिस के कोई कार्रवाई न करने की वजह से खुदकुशी कर ली। गैंगरेप पीड़िता के जीवित रहते उसकी कोई मदद न करने वाला पुलिस विभाग मासूम की मौत के बाद हरकत में आया और दो पुलिस वालों को निलंबित कर दिया। इन दोनों पर नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप की घटना की एफआईआर लिखने से मना करने का आरोप है। यूपी पुलिस की नींद अगर पीड़ित बच्ची के जीवित रहते खुल जाती तो शायद वह आज जिंदा होती।

नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप की वारदात चित्रकूट के खरौंद गांव में 8 अक्टूबर की रात उस वक्त हुई थी, जब वह घर से कुछ दूर शौच के लिए हुई थी। वहीँ कुछ बदमाशों ने उसका गैंगरेप किया और हाथ पैर बांधकर जंगल में  छोड़ गए।

लड़की की मां ने समाचार चैनल एनडीटीवी को बताया कि पीड़ित बच्ची किसी तरह घिसटती हुई घर के पास तक आई तब जाकर उसके साथ हुई दरिंदगी का पता चला। इसके बाद परिजनों ने पुलिस बुलाई। पुलिस ने उसी हालत में पहले लड़की की फोटो खींची उसके बाद उसकी रस्सियां खोलीं। उन्होंने लड़की से पूछा कि क्या वो उन लड़कों को पहचानती है। लड़की ने कहा वह उन्हें नहीं पहचानती। इस पर पुलिस वालों ने कहा कि पहले पता करो  वो लड़के कौन थे, तभी हम रिपोर्ट लिखेंगे।

पुलिस वालों की इस बेरुखी और असंवेदनशीलता से परेशान होकर पीड़ित लड़की ने आखिरकार खुदकुशी कर ली। घटना के तूल पकड़ने के बाद यूपी पुलिस की कुंभकर्ण जैसी नींद खुली और चित्रकूट के आईजी और डीएम मौके पर पहुंचे। बाद में इलाके के चौकी इंचार्ज और थाना इंचार्ज दोनों को वारदात की रिपोर्ट न लिखने और लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। अब तक एक आरोपी पकड़ा जा चुका है, जबकि दूसरे की तलाश अब भी जारी है।

गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों के दौरान उत्तर प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की घटनाएं लगातार देखने को मिल रही हैं। इन मामलों में प्रशासन के रवैये को लेकर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल के दिनों में हाथरस में दलित लड़की के साथ दरिंदगी के बाद सरकार को चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। फिर भी चित्रकूट की घटना बता रही है कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को लेकर यूपी पुलिस के रवैये में कोई सुधार नहीं हो रहा है।