विशाखापत्तनम। दो दशक से ज्यादा लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आंध्र प्रदेश के एक विधायक को सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिली है। सरकारी नौकरी मिलने की खुशी में एक पल के लिए विधायक जी झूम उठे। उन्होंने कहा कि मैं तो शिक्षक ही बनना चाहता था, लेकिन नियुक्ति नहीं हुई तो राजनीति में आ गया।

मामला चोडावरम का है जहां से वर्तमान विधायक करणम धर्मश्री सरकारी स्कूल में नौकरी पाकर अत्यंत प्रसन्न हैं। दरअसल, साल 1998 में डीएससी द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की गयी थी। चोडावरम के वर्तमान विधायक करणम धर्मश्री ने उस समय लिखित परीक्षा दी थी और वह इस परीक्षा में चयनित हुए थे।  विवादों के कारण भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगी दी गयी। हालांकि, बाद में विवाद को अदालत में सुलझा लिया गया।

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने हाल ही में नौकरी के लिए तत्कालीन चयनित उम्मीदवारों की फाइल पर हस्ताक्षर किए जिससे 24 साल पहले चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी मिलने का रास्ता साफ हो गया। विधायक धर्मश्री भी उन्हीं लोगों में से एक हैं। हालांकि, वह अब विधायक हैं, ऐसे में जाहिर सी बात है कि वे शिक्षक बनने के ली विधायकी से इस्तीफा नहीं देंगे।

विधायक धर्मश्री ने बताया कि उस समय वे महज 30 साल के थे, जब शिक्षक के लिए उनका चयन हुआ था। सरकारी आदेश आते ही उस समय के दोस्तों कॉल आने लगा जो तब साथ में चयनित हुए थे। मैं तो पुराने दिन भूल ही चुका था, लेकिन सारी यादें ताजा हो गई। उन्होंने बताया कि उनके कई अन्य दोस्त जो इस परिक्षा में चयनित हुए थे उनमें से कुछ मजदूर बन गए, कुछ हमाली और कुछ अन्य भिखारी भी बन गए। 

धर्मश्री राहत की सांस लेते हुए कहते हैं कि अब वे सभी कम से कम अपने जीवन के अंतिम क्षणों सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। धर्मश्री कहा कि उन्होंने एक शिक्षक के रूप में घर बसाने का सपना देखा था और उस समय पद प्राप्त होने पर वह अध्यापन के पेशे में स्थापित हो गये होते। नौकरी नहीं मिलने के बाद राजनीति में प्रवेश किया और जिले में सक्रिय हो गये। हालांकि, उनका अभी भी मानना है कि अध्यापन का पेशा समाज सेवा से श्रेष्ठ है। उन्होंने 1998 बैच की ओर से सीएम जगन का आभार व्यक्त किया है।