भारत में हर उम्र के लोगों के लिए आधार कार्ड एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। बच्चों के लिए भी आधार कार्ड एक बेदह जरूरी दस्तावेज है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेना हो या स्कूल में एडमिशन हर जगह इसकी जरूरत होती है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बायोमेट्रिक जानकारियों की अनिवार्यता खत्म कर दी है। इसके साथ ही अब माता-पिता अपने बच्चों का आधार कार्ड एक आसान प्रक्रिया अपनाकर बनवा सकते हैं। UIDAI द्वारा जारी बच्चों का आधार कार्ड नीले रंग का होता है। इसे बाल आधार कार्ड कहा जाता है। भारत में हर साल करीब 2 से 2.5 करोड़ बच्चों का जन्म होता है। अस्पतालों में आधार रजिस्ट्रेशन से नवजात बच्चों के आधार कार्ड बनाने में आसानी हो जाएगी

अस्पतालों में ही नवजात शिशुओं को जन्म के समय ही उनकी फोटो क्लिक कर आधार कार्ड प्रदान कर दिया जाएगा। बच्चों के माता-पिता में से किसी एक के साथ उसे लिंक कर दिया जाएगा। वहीं जब बच्चा पांच साल की का हो जाएगा तब बच्चों के बायोमेट्रिक्स डीलेट जिसमें आंखों का स्कैन और फिंगर प्रिंट्स लिए जाते हैं। देश की सौ प्रतिशत आबादी को आधार नंबर से जोड़ने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। बीते साल देश करीब दस हजार से ज्यादा कैंप लगाकर दूर-दराज के लोंगो का आधार कार्ड बनाया गया था। उस दौरान करीब 30 लाख लोगों को रिजिस्टर्ड किया गया था।

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भारत में आधार कार्ड बनाने के शुरुआत साल 2010 में हुई थी। 2010 में पहला आधार नंबर जारी किया गया था। अब तक देश की करीब 99.7 प्रतिशत वयस्क आबादी का कार्ड बन चुका है। UIDAI द्वारा करीब 131 करोड़ आबादी को आधार नंबर प्रदान किया जा चुका है। अब UIDAI का लक्ष्य शत प्रतिशत नवजात शिशुओं का रजिस्ट्रेशन कराना है।

वहीं व्यस्क लोगों को आधार कार्ड में अपडेटशन भी होता है। हर साल लगभग 10 करोड़ लोग अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर जैसी जानकारियां अपडेट कराते रहते हैं। भारत में करीब 140 करोड़ बैंक खातों में से लगभग 120 करोड़ बैंक खातों को आधार नबंर से जोड़ा जा चुका है।