नई दिल्ली। भारतीय पत्रकारों की जासूसी का मसला संसद में गरमाया रहा। विपक्ष ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सरकार को घेरना शुरू कर दिया। विपक्ष द्वारा लगातार सरकार को घेरे जाने के बाद सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। इजराइली कंपनी द्वारा भारत की नामचीन हस्तियों की जासूसी कराए जाने के मसले पर विपक्ष के सवालों के जवाब में नए नवले संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार पर लग रहे आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। इतना ही नहीं मंत्री ने इस पूरे प्रकरण को सरकार को बदनाम करने की साज़िश करार दिया।  

यह भी पढ़ेंः पेगासस स्पाइवेयर के जरिए 40 से अधिक पत्रकारों की हुई जासूसी, फॉरेंसिक टेस्ट के हवाले से रिपोर्ट में दावा

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सदन में आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सरकार का इस पूरे प्रकरण से कोई लेना देना नहीं है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पूरा प्रकरण ज़ाहिर तौर पर भारत के लोकतंत्र और उसके संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश है। वैष्णव ने कहा कि सत्र से ठीक एक दिन पहले ही इस तरह के दावों का सामने आना अपने आप में ही सब कुछ बयां कर रहा है।यह महज़ एक संयोग नहीं हो सकता।  

यह भी पढ़ेंः कैबिनेट मंत्रियों और RSS नेताओं के फोन टैपिंग की खबरों के बीच जानें क्या है पेगासस स्पाईवेयर, कैसे होता है कंट्रोल

इससे पहले सोमवार को एक रिपोर्ट के जारी होने के बाद से ही भूचाल मच गया। रिपोर्ट में दुनिया भर के करीब 180 पत्रकारों की जासूसी की जाने का दावा किया गया। इसमें भारत के 40 से ज़्यादा पत्रकारों के नाम शामिल थे। यह सभी पत्रकार ऐसे पत्रकार हैं जो खोजी पत्रकारिता करते हैं और प्रधानमंत्री मोदी के आलोचक माने जाते हैं। रिपोर्ट में 40 पत्रकारों सहित करीब 300 लोगों के फोन हैक किए जाने का दावा किया गया। रिपोर्ट के सामने आने के बाद से ही भारत सरकार की किरकिरी शुरू हो गई। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस पूरे मसले की स्वतंत्र जांच किए जाने की मांग की। वहीं जब आज संसद का सत्र शुरू हुआ, तब विपक्ष ने सरकार को लगातार सदन में घेरना शुरू कर दिया।