नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीनों से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड निकाल रहे हैं। उनके ट्रैक्टर राजधानी के बाहरी इलाके की सड़कों पर गणतंत्र की मूल भावना यानी आम नागरिक की सर्वोच्चता का प्रदर्शन करेंगे। गणतंत्र दिवस के मौके पर इस बार होने वाली ट्रैक्टर परेड को कई मायनों में ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह परेड देश के पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई परेड की याद दिलाएगी जब देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राजपथ की परेड में ट्रैक्टर को शामिल किया था।

अब से थोड़े देर बाद शुरू होने वाली इस परेड में 25 हजार से ज्यादा ट्रैक्टर्स पर सवार होकर किसान अपनी एकजुटता और मांगों को लेकर दृढ़ निश्चय को प्रदर्शन करेंगे। आज दिल्ली के चारों ओर जहां तक नजर जा रही है वहां सिर्फ ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर दिखाई दे रहे हैं। किसान संगठनों ने ट्रैक्टर मार्च को लेकर खासी तैयारियां भी की है। मसलन बिना रजिस्ट्रेशन, डीएल और आधार कार्ड के किसी भी ट्रैक्टर को मार्च में शामिल होने की इजाजत नहीं दी गई है। जगह-जगह काउंटर बनाकर मार्च में शामिल होने वाले ट्रैक्टर चालकों का रजिस्ट्रेशन कार्ड बनाया गया है।

परेड के रूट्स पर 1200 वालंटियर्स की तैनाती

गाजीपुर बॉर्डर से गाजियाबाद के दुहाई तक इस पूरे ट्रैक्टर मार्च को कुल 12 सेक्टरों में बांटा गया है। हर सेक्टर में किसान वालंटियर्स तैनात रहेंगे। मार्च के लिए गाजीपुर से गाजियाबाद तक करीब 1200 वालंटियर्स की ड्यूटी मार्च के लिए लगाई गई है। इनके भी रजिस्ट्रेशन कर सभी को आई कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं। वालंटियर्स के लिए पूरे मार्च के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए 120 वॉकी-टॉकी का इंतजाम किया गया है। 

15 टीमें नजर रखेंगी ताकि कोई हथियार लेकर न पहुंचे

परेड में कानून व्यवस्था को देखते हुए किसान संगठनों ने 15 विशेष टीमों को तैनात किया है जिनका काम इस बात पर नजर रखना है कि कोई भी शख्स हथियार लेकर परेड में शामिल न हो। इसके लिए पहले से ही एंट्री पॉइंट्स पर तीन मेटल डिटेक्टर गेट भी लगाए गए हैंं। इस दौरान यह भी ख्याल रखा जाएगा कि कोई भड़काऊ नारेबाजी न करे। ट्रैक्टरों पर भारत की शान तिरंगा लहराएगा। इस दौरान एक ट्रैक्टर पर पांच से ज्यादा लोगों को बैठने की अनुमति नहीं दी गई है।

जब देश की पहली गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए थे ट्रैक्टर

इस ट्रैक्टर परेड को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि आज का दृश्य देश के पहले गणतंत्र दिवस परेड की याद दिलाएगा। दरअसल, 26 जनवरी 1952 को जब भारत में पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था तब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजपथ की परेड में ट्रैक्टर को शामिल किया था। फर्क बस इतना था कि तब किसानों को आधुनिक खेती का महत्व बताने के लिए ट्रैक्टर परेड की गई थी और अब देश के आधुनिक हो चुके किसान चुनी हुई सरकार को लोकतंत्र का महत्व बताएंगे।