नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में जान गंवाने वालों की याद में देशभर के किसान आज 'शहीद दिवस' के रूप में मनाएंगे। इस दौरान प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाएगा और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। अखिल भारतीय किसान सभा ने शनिवार को घोषणा की थी कि 20 दिसंबर को किसानों की याद में श्रद्धांजलि दिवस मनाया जाएगा।

अबतक 33 किसान गंवा चुके हैं जान

किसान संगठनों ने बताया है कि 26 नवंबर से चल रहे विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने वाले 33 किसान अबतक दुर्घटनाओं, बीमारी और ठंड के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। किसानों ने कहा है कि किसानों और सभी वर्गों के लोग 20 दिसंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक श्रद्धांजलि सभा, मानव श्रृंखला का आयोजन करके श्रद्धांजलि देंगे। एआईकेएस ने कहा, इन किसानों का सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब के लाखों किसान तीन हफ्ते से अधिक समय से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं।

किसानों का सेवा करने पहुंचे पंजाब के हेल्थ वर्कर्स

दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड में अपनी मांगों को लेकर डटे किसान लगातार ठंड और बीमारी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। इसी बीच पंजाब के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने किसानों के समर्थन में अहम फैसला लिया है। प्रदर्शनकारी किसानों को समय पर इलाज प्रदान करने के लिए पंजाब के विभिन्न अस्पतालों के चिकित्सा कर्मचारी सिंघु बॉर्डर पर पहुंच गए हैं। लुधियाना के एक अस्पताल में स्टाफ नर्स के रूप में काम कर रही हर्षदीप कौर ने कहा, 'हम यहां आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करने के लिए आए हैं। अगर कोई भी बीमार पड़ता है तो हम सभी की सेवा के लिए तैयार हैं।'

2 लाख किसानों के साथ दिल्ली कूच करेंगे बेनीवाल

केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर जहां एक ओर बीजेपी कह रही है कि किसानों को विपक्ष गुमराह कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर उसके ही एक और सहयोगी दल ने इन कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एनडीए के सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक और राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने एलान किया है कि किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को उनकी पार्टी दो लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली मार्च करेगी।

केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 25वें दिन भी जारी है। प्रदर्शनकारी किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। किसान संगठनों ने पीएम नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक संयुक्त खुला पत्र लिखा है जिसमें किसानों ने विपक्ष के गुमराह करने के आरोपों को लेकर नाराजगी जताई है। यह खत पीएम मोदी के आरोपों और कृषि मंत्री की चिट्ठी के जवाब में है।