देश की अर्थव्यवस्था के मंदी में घिरने को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर खिंचाई की है। राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के कामों की वजह से जो अर्थव्यवस्था कभी भारत की ताकत थी, वह आज कमज़ोरी में तब्दील हो गई है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर यह हमला इतिहास में पहला बार भारतीय अर्थव्यवस्था के इस कदर मंदी में घिरने को लेकर किया है। राहुल गांधी इससे पहले भी नोटबंदी, लॉकडाउन और भारत सरकार के गलत आर्थिक फैसलों के खिलाफ़ लगातार बोलते आये हैं।



राहुल गांधी ने आर्थिक मंदी के आज आए आंकड़ों के बारे में ट्विटर पर लिखा है, "भारत के इतिहास में देश में पहली बार मंदी छाई है। भारत की ताक़त को मोदी जी ने कमज़ोरी में बदल दिया।" राहुल ने अपने ट्वीट के साथ एक खबर भी साझा की है, जिसमें रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के हवाले कहा गया है कि साल 2020-21 की पहली छमाही के अंत में भारत इतिहास में पहली बार मंदी की चपेट में आ सकता है।





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रिज़र्व बैंक के अनुमान के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही यानि जुलाई से सितंबर 2020 के दौरान जीडीपी में  8.6% की गिरावट दर्ज की गई है। इससे पिछली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2020 के दरम्यान तो देश की जीडीपी में 23.9 फीसदी की और भी भयानक गिरावट देखने को मिली थी। इस तरह दो तिमाहियों में लगातार जीडीपी घटने का मतलब यही है कि देश भयंकर आर्थिक मंदी में घिर चुका है। हालांकि रिज़र्व बैंक आने वाले दिनों में हालात सुधरने की उम्मीद जाहिर कर रहा है, लेकिन उसके साथ ही बढ़ती महंगाई के चलते आर्थिक संकट और गहराने के खतरे से पूरी तरह इंकार भी नहीं कर रहा है।



आपको बता दें, इस साल मार्च के अंत में कोरोना के चलते लॉकडाउन लगाया गया था। इस लॉक डाउन के बावजूद कोरोना इंफेक्शन के मामले तो तेज़ी से बढ़ते रहे, लेकिन पहले से खस्ताहाल चल रही देश की आर्थिक स्थिति और भी गहरे संकट में फंस गई है। राजनीति में आने से पहले इंग्लैंड की मशहूर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एमफिल कर चुके राहुल गांधी अर्थव्यवस्था से जुड़े मसलों को अच्छी तरह समझते हैं। यही वजह है कि वे इन मुद्दों पर सरकार से लगातार सवाल करते हैं। दुनिया में कोरोना इंफेक्शन की शुरुआत होने के कुछ ही समय बाद उन्होंने आगाह किया था कि इस महामारी की वजह से देश पर बड़ा आर्थिक संकट आने वाला है, जिससे निपटने के लिए हमें गंभीरता से तैयारी करनी चाहिए। लेकिन उस वक्त मोदी सरकार ने उनकी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया था।