नई दिल्ली। राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच स्पीकर की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। स्पीकर ने राजस्थान हाई कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ याचिका डाली है, जिसमें पायलट समेत 19 बागी विधायकों पर 24 जुलाई तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई ना करने के लिए कहा गया है।

वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 22 जुलाई को प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत चुनी हुई सरकारों को हॉर्स ट्रेडिंग के माध्यम से गिराने की साजिश हो रही है और इसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हैं। इस पत्र के बाद राजस्थान बीजेपी ने जनता के नाम पत्र लिखते हुए कहा कि गहलोत की तरफ से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाना बताता है कि उनकी सरकार अल्पमत में है। फिलहाल राजस्थान में राजनीतिक संकट अभी बरकरार है। 

दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच बहुत पहले से ही खींचतान चली आ रही थी। बताया जा रहा है कि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही पायलट के मन में मुख्यमंत्री बनने की चाहत थी लेकिन उनके अरमान पूरे नहीं हुए। पायलट ने खुद कई बार इस बात के संकेत दिए। हाल ही में उन्होंने कहा था कि 2018 में पार्टी को चुनाव जिताने में उनकी मुख्य भूमिका रही थी और वे मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। पायलट ने अपनी इसी मांग को लेकर कुछ दिन पहले गहलोत के खिलाफ बागी तेवर अपना लिए और दिल्ली पहुंच गए। 

पायलट ने दावा किया कि उनके साथ तीस विधायक हैं। कांग्रेस ने इस अनुशासनहीनता की सजा देते हुए पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया। साथ में पार्टी ने मामले को सुलझाने के लिए पायलट और बागी विधायकों को दो बार विधायक दल की मीटिंग में बुलाया। पार्टी ने बार-बार कहा कि पायलट के लिए दरवाजे खुले हैं। लेकिन पायलट और बागी विधायक नहीं आए तो पार्टी ने व्हिप उल्लंघन का दोषी मानते हुए उन्हें अयोग्यता का नोटिस दे दिया। पायलट गुट ने इसी नोटिस के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में अपील की। 

राजस्थान हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि स्पीकर बागी विधायकों पर 24 जुलाई तक कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। इसके खिलाफ स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका डालते हुए कहा कि कोर्ट स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि स्पीकर को विधायकों को अयोग्य ठहराने का अधिकार है और कोर्ट तब ही कोई फैसला ले सकता है जब स्पीकर ने कारण बताओ नोटिस पर कोई निर्णय ले लिया हो। 

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इस बीच ईडी ने अशोक गहलोत के भाई के यहां छापे मारे। यह छापे 2007 के एक फर्टिलाइजर घोटाले के संबंध में मारे गए, जिसमें अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत पहले ही 11 लाख रुपये पेनल्टी जमा कर चुके हैं और कोर्ट भी इस मामले में स्टे लगा चुका है। कांग्रेस ने इसके जवाब में कहा कि केंद्र सरकार निरंकुश हो गई है और पार्टी इस रेडराज से डरने वाली नहीं है। 

बहरहाल, पायलट कैंप का कहना है कि व्हिप विधानसभा के बाहर लागू नहीं होती इसलिए विधायकों को दिए गए नोटिस असंवैधानिक हैं। वहीं स्पीकर की दलील है कि विधायकों को अनुशासनहीनता के लिए कारण बताओ नोटिस भेजने का पूरा अधिकार स्पीकर के पास है।