नई दिल्ली। भारतीय सेना में बड़े स्तर पर छंटनी की तैयारी चल रही है। खबर है कि केंद्र सरकार सेना से एक दो नहीं बल्कि 1 लाख जवानों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी में है। सरकार ने अगले 3-4 सालों के भीतर इन जवानों को हटाने का लक्ष्य रखा है। इन जवानों की नौकरी छिनने के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे जो पैसे बचेंगे उससे सेना को अत्याधुनिक तकनीकें उपलब्ध कराई जाएंगी।

देश में यह पहली बार है जब सेना से इतनी बड़ी संख्या में जवानों को बाहर निकाला जाएगा। सेना के शीर्ष अधिकारियों से रक्षा मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति ने इसके बारे में जानकारी ली है। भारतीय सेना में बदलाव की कोशिशों के तहत लॉजिस्टिक टेल को छोटा करने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि सेना में इन्फेंट्री यानी लड़ाकू जवानों पर फोकस किया जा रहा है क्योंकि उनके पास सीमा की सुरक्षा का जिम्मा है।

सेना से जवानों को हटाने के पीछे तर्क यह है कि एक लड़ाकू कंपनी में जहां अभी 120 जवान रहते हैं, उन्हें यदि तकनीक से लैस कर दिया जाए तो वही काम 80 जवान भी कर सकते हैं। ऐसे में बाकी के 40 जवान गैर जरूरी हो जाएंगे। इसका मतलब है कि सप्लाई और सपोर्ट कार्य में लगे जवानों को हटाया जाएगा। 

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सेना की ओर से कहा गया है कि एक लाख जवानों को हटाने के बाद जो पैसे बचेंगे उसका उपयोग सैनिकों को तकनीक से लैस करने में किया जाएगा।बता दें कि जवानों की सभी टुकड़ियों के साथ एक निश्चित संख्या में सप्लाई एंड सपोर्ट टीम रहती है जिसका काम तमाम संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना होता है।