नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल रहते सत्यपाल मलिक को 300 करोड़ रिश्वत का ऑफर मिला था। मलिक को रिश्वत का ऑफर RSS और अंबानी से जुड़ी फाइलों को पास करने के लिए मिला था। उनमें बड़े स्तर पर घपला था। खास बात ये है कि इस पूरे घटना की जानकारी पीएम मोदी को भी थी। सत्यपाल मलिक ने खुद यह खुलासा किया है।

दरअसल, सत्यपाल मलिक को इस हफ्ते राजस्थान के झुंझनु में एक सम्मान समारोह में बुलाया गया था। यहां उन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। मलिक ने बताया कि आरएसएस से जुड़े एक शख्स की फाइल क्लियर करने के एवज में उन्हें 150 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की गई। मलिक के मुताबिक जिनकी फाइल थी वे पीएम मोदी के बेहद करीबी हैं और पीडीपी-बीजेपी की गठबंधन सरकार में मंत्री भी थे।

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इतना ही नहीं मेघालय के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यह भी बताया कि एक अन्य फाइल जो मुकेश अंबानी की कंपनी से जुड़ी थी उसे क्लियर करने के लिए भी 300 करोड़ रुपए की पेशकश हुई। मलिक के मुताबिक दोनों फाइलें अनैतिक कामकाज से जुड़ी हुई थी। मलिक ने बताया कि इसके बाद वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे।

मलिक के मुताबिक उन्होंने पीएम मोदी से पूछा कि इसमें क्या करना है? मलिक ने यह भी कहा कि उन्होंने पीएम मोदी को साफ कह दिया कि यदि दोनों फाइलें क्लियर करनी हो तो किसी और को राज्यपाल बना दिया जाए क्योंकि वे ऐसा नहीं करेंगे। मलिक ने आगे बताया कि पीएम मोदी ने उन्हें कहा कि आपको कोम्प्रोमाईज़ करने की कोई जरूरत नहीं है। बकौल मलिक उन्होंने दोनों डीलें निरस्त कर दी थी।

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मलिक के मुताबिक अन्य राज्यों में 5% रिश्वत मांगा जाता है लेकिन कश्मीर में इतना भ्रष्टाचार है कि वहां  15% कमीशन मांगा जाता है। बहरहाल मलिक ने उन दोनों डील के बारे में तो विस्तार से नहीं बताया है लेकिन माना जा रहा है कि ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़ी एक फाइल का जिक्र कर रहे थे। जिसमें अंबानी की रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी शामिल थी। 

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहते अक्टूबर 2018 में मलिक ने रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी के साथ यह डील कैंसिल कर दी थी। इस फैसले के 1 साल के भीतर मोदी सरकार ने उन्हें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद से हटा दिया था। जानकारों के मुताबिक मलिक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। मलिक ने किसान आंदोलन को भी समर्थन करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहता है तो वे अपना पद छोड़कर किसानों के साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।