नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक ईमेल्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और बीजेपी का चुनावी नारा 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' उपयोग किए जाने का मामला गरमा गया है। शीर्ष अदालत ने इसपर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इसे तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया है। SC के सख्त रवैए को देखते हुए नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) ने इसे वापस ले लिया है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जजों के सामने तब स्थिति असहज हो गई जब उन्हें वकीलों के माध्यम से पता चला कि न्यायालय की ओर से भेजे जा रहे प्रत्येक आधिकारिक ईमेल के नीचे यानी फुटनोट में पीएम मोदी की तस्वीर और बीजेपी का चुनावी नारा दिख रहा है। इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने निर्देश दिया कि मोदी की तस्वीर और नारे को तत्काल हटाया जाए। साथ ही फुटनोट में सुप्रीम कोर्ट की तस्वीर लगाई जाए। कोर्ट के इस फैसले के बाद एनआईसी ने तत्काल अपनी गलतियां सुधारी।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल इनफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) केंद्र सरकार के अलावा सभी मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को इंटरनेट से जुड़ी सेवा उपलब्ध कराता है। बताया जा रहा है कि एनआईसी को केंद्र की ओर से अपने सर्वर पर ये तस्वीर लगाने के लिए कहा गया था। नतीजतन कोर्ट के ईमेल में भी वही फुटनोट जुड़ गए। हालांकि, एनआईसी का कहना है कि अनजाने में यह तस्वीर लग गई थी, जिसे लेकर कुछ लोगों ने विवाद खड़ा करने की कोशिश की।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के वॉट्सऐप ग्रुप में एक वकील ने लिखा कि, 'सर मुझे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से नोटिस भेजा गया था। जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर दिखाई दे रही है। सुप्रीम कोर्ट एक स्वतंत्र अंग है, सरकार का हिस्सा नहीं। ऐसे में आपसे अनुरोध है कि इस मामले को CJI के सामने उठाएं और विरोध दर्ज करें।' इसपर न्यायालय ने भी सहमति जताते हुए निर्देश दिया कि उक्त तस्वीर हमारे कामकाज से जुड़ा नहीं है और फुटनोट में न्यायालय भवन की तस्वीर लगाई जाए।