नई दिल्ली/मुंबई। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की चिट्ठी से उठे विवाद पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। शरद पवार ने कहा है कि परमबीर की चिट्ठी में केवल आरोप हैं, सबूत नहीं। उन्होंने कहा कि चिट्ठी में पूर्व पुलिस कमिश्नर ने यह भी बताने की जहमत नहीं उठाई है कि इतना पैसा आखिर कहां गया? पवार ने यह भी पूछा कि परमबीर सिंह ने सारे आरोप पुलिस कमिश्नर के ओहदे से ट्रांसफर किए जाने के बाद ही क्यों लगाए, पहले क्यों नहीं बोले?

शरद पवार ने यह बातें दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। एनसीपी नेता ने कहा कि पूर्व कमिश्नर ने मुख्यमंत्री को जो पत्र लिखा है, उसमें केवल आरोप लगाए गए हैं। उसमें सबूत के नाम पर कुछ भी नहीं है। साथ ही आरोपों में यह भी नहीं बताया गया है कि आखिर इतना पैसा कहां गया? 

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पवार ने आरोपों पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर परमबीर सिंह ट्रांसफर होने से पहले क्यों नहीं बोले ? अगर उनके आरोप सही हैं तो उन्होंने इतने दिनों तक चुप्पी साधे रखना मुनासिब क्यों समझा? पवार ने आगे कहा कि चिट्ठी पर परमबीर सिंह के हस्ताक्षर तक नहीं हैं। सचिन वाझे का निलंबन रद्द करके दोबारा नियुक्ति देने पर उठ रहे सवालों के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि वाझे की नियुक्ति मुख्यमंत्री या गृह मंत्री ने नहीं, खुद परमबीर सिंह ने की थी। पवार ने कहा कि जो भी आरोप सामने आए हैं, उनकी जांच के बारे में फैसला करने का मुख्यमंत्री को पूरा अधिकार है।

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कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता ने भी परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों पर सवाल खड़े किए हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि 'अभी तक मुंबई पुलिस कमिश्नर साहब चुप क्यों थे? क्या यह सब उनकी भाजपा में जाने की तैयारी है या केंद्र सरकार में लाभदायक पद प्राप्त करने का संकेत है?'