नई दिल्ली। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सब्सिडी ना मिलने की वजह से हजारों लाभार्थी झुग्गियों और आधे बन चुके घरों में रहने के लिए मजबूर हैं। प्रधानमंत्री की इस योजना के तहत 2022 तक शहरी इलाकों में सभी के लिए पक्के घर तैयार किए जाने हैं। प्रधानमंत्री कई बार यह एलान कर चुके हैं कि देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर सभी के पास अपना पक्का घर होगा। 

प्रधानमंत्री आवास योजना के कुल चार भाग हैं। जिसमें से एक के तहत उन लोगों को केंद्र सरकार की तरफ से डेढ़ लाख रुपये मिलते हैं, जिनके पास खुद की जमीन पर कोई अस्थाई कच्चा या पक्का आवास है। इस पैसे से वे 30 वर्ग मीटर में निर्माण करा सकते हैं। केंद्र सरकार के अलावा कई राज्य सरकारें भी सब्सिडी दे रही हैं। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र सरकार एक लाख रुपये की सब्सिडी देती है। 

पूरे देश में इस योजना के तहत 67.44 लाख लाभार्थियों की पहचान की गई है। इनमें से अब तक 13.44 लाख घरों का ही निर्माण हो पाया है। महाराष्ट्र में करीब 80 हजार प्रोजेक्ट आधे अधूरे पड़े हैं। किसी घर की छत अधूरी है तो कहीं दीवारें नहीं बनी हैं। सरकारी सहायता ना मिलने पर कई लाभार्थियों ने जैसे तैसे आरसीसी या टिन की छत डलवा ली है। अधिकारियों के पास इस समस्या का कोई जवाब नहीं है। 

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक महाराष्ट्र में यह योजना काफी लोकप्रिय है। इस योजना के तहत 2016 से लेकर अब तक 2.19 लाख लाभार्थियों की पहचान की जा चुकी है। हालांकि, केंद्र सरकार की तरफ से सब्सिडी ना मिलने या किस्तों में देरी की वजह से केवल 22 हजार लाभार्थी ही अपना घर बनवा पाए हैं। 

राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि फंड में कमी नहीं है बल्कि नगरपालिका या दूसरे स्थानीय स्तर के अधिकारी सही आवेदनों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं। दूसरी तरफ कोरोना वायरस खतरे ने परेशानी को और बढ़ा दिया है। एक तरफ जहां सब्सिडी नहीं मिल रही है तो दूसरी तरफ आय ना होने पर लोगों की खुद की कमाई पर भी असर पड़ा है। इसके परिणाम में उन्होंने घर बनवाने की आशा की छोड़ दी है। करीब एक लाख लाभार्थियों ने शुरुआत की कुछ किस्तें मिलने के बाद घरों का निर्माण रोक दिया है।