नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच कांवड़ यात्रा की अनुमति देने वाले उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। शीर्ष न्यायालय ने आज इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि नागरिकों की जान सर्वोपरि है। कोर्ट ने योगी सरकार को इस बारे में पुनर्विचार करने का आखिरी मौका देते हुए कहा है कि यदि यूपी सरकार फैसला नहीं करेगी को हम इसपर आदेश पारित करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में उत्तरप्रदेश सरकार ने कहा कि हम केवल प्रतीकात्मक तौर पर कांवड़ यात्रा चाहते हैं। इस संकट की घड़ी में सौ फीसदी कांवड़ यात्रा की इजाजत नहीं दी जा सकती। यूपी सरकार को हम विचार करने का एक मौका दे रहे हैं। संविधान का अनुच्छेद-21, जीने  का अधिकार हम सभी पर लागू होता है और लोगों का जीवन सबसे ऊपर है। योगी सरकार कांवड़ यात्रा पूरी तरह रद्द करने पर विचार करने वरना हम आदेश देंगे।

यह भी पढ़ें: PM, CM देने वाले विदिशा में दो बूंद पानी के लिए होती थी जद्दोजहद, जिस कुएं ने बुझाई प्यास उसी में डूबे

कोर्ट ने इस दौरान स्पष्ट रूप से कहा है कि लोगों की धार्मिक भावनाएं मौलिक अधिकारों के अधीन ही आती हैं। उधर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कांवड़ यात्रा को उत्तराखंड जाने की इजाजत नहीं देनी चाहिए, हालांकि गंगाजल को ऐसी जगह उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि कांवड़ियें अपने नजदीकी शिव मंदिर में ही पूजा कर सकें। 

दरअसल, एक्सपर्ट्स द्वारा तीसरी लहर का खतरा बताए जाने के बावजूद योगी सरकार ने आगामी 25 जुलाई से उत्तरप्रदेश में कांवड़ यात्रा शुरू करने का ऐलान कर दिया है। उधर हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर चिंतित हो गए हैं कि कहीं ये कांवड़ यात्रा कुंभ जैसा सुपरस्प्रेडर न हो जाए। इसपर सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तरप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

यह भी पढ़ें: ज़मानत मिलने के बाद कैदियों की रिहाई में देरी को रोकने के लिए प्रणाली विकसित करेगा सुप्रीम कोर्ट

उधर उत्तराखंड सरकार ने पहले अनुमति देने के बाद अब कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने का फैसला लिया है। उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों से बातचीत के बाद यह फैसला लिया है। यह लगातार दूसरा साल है जब उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगाई है। इसके पहले हरिद्वार में कुंभ के आयोजन को लेकर उत्तराखंड की पूर्ववर्ती तीरथ सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।