ज़मानत के बाद कैदियों की जल्द रिहाई के लिए प्रणाली विकसित करेगा सुप्रीम कोर्ट

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया कि ASTER नामक योजना पर इस समय काम किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य कैदियों को जमानत मिलने के बाद रिहाई में होने वाली देरी को रोकना का है, इसके लिए जमानत के आदेश को सीधे जेलों तक पहुंचाया जाएगा

Updated: Jul 16, 2021, 09:06 AM IST

नई दिल्ली। ज़मानत मिलने के बाद कैदियों की रिहाई में होने वाली देरी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक प्रणाली विकसित करने के बारे में विचार कर रहा है। खुद मुख्य न्यायाधीश ने इस बाबत जानकारी दी है। सीजेआई रमन्ना ने शुक्रवार को कैदियों की रिहाई से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐसी प्रणाली विकसित करने पर विचार कर रहा है, जिससे कैदियों की जमानत के आदेश को सीधे जेलों तक पहुंचाया जा सके। ताकि जमानत मिलने के बाद कैदियों को रिहाई के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े। 

एनवी रमन्ना ने कहा कि हम तकनीक के युग में रह रहे हैं। हम एक ASTER (आस्क एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रोनिक रिकॉर्ड) नामक योजना को विकसित करने पर विचार कर रहे हैं। जिसका उद्देश्य जेल प्रशासन तक बिना किसी इंतजार के जमानत के आदेश को पहुंचाना है। सीजेआई ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल को इस पर दो हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने के लिए निर्देश दे रहा हूं। हम इस योजना को एक महीने के भीतर लागू करने का प्रयास करेंगे। 

सीजेआई ने यह बातें कैदियों की रिहाई में देरी होने के मसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कही। सीजेआई ने कहा कि कोर्ट ने कैदियों को रिहा करने के लिए आदेश जारी किए लेकिन कई बार कैदियों को यह कहकर रिहा नहीं किया गया कि उन्हें आदेश की कॉपी नहीं मिली। 

इसके बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यह गलत है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस प्रथा को गलत करार दिया। लेकिन साथ ही तुषार मेहता ने यह भी कहा कि कई मर्तबा जेल प्रशासन को मनगढ़ंत और फर्जी आदेश दिए जाते हैं। इसलिए जेल प्रशासन को प्रमाणित आदेश की दरकार होती है। सॉलिसिटर जनरल ने सुझाव दिया कि एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे साइट पर अपलोड होने वाले आदेश को प्रमाणित कॉपी माना जाए। 

इसके बाद सीजेआई ने कहा कि इस योजना को लागू करने से पहले मैं राज्य सरकारों से इस मसले पर जवाब चाहता हूं कि सभी जेलों में इंटरनेट की कनेक्टिविटी है या नहीं? अन्यथा जमानत के आदेशों को सीधे जेल तक संप्रेषित करना असंभव हो जाएगा।