गोवा। गुलेली गांव में आईआईटी कैंपस बनने से नाराज गांव वालों को शांत करने के लिए राज्य सरकार ने कैंपस जमीन के एक हिस्से में मंदिर बनाने की मंजूरी दे दी है। यह कैंपस 10 लाख वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में बनना है। गोवा कैबिनेट ने इसमें से 45 हजार वर्गकिलोमीटर जमीन पर मंदिर बनाने की इजाजत दे दी है। गोवा सरकार ने जुलाई में ही गांव में आईआईटी कैंपस बनाने के लिए जमीन आवंटन का एलान किया था। इस फैसले से कुछ स्थनीय लोग नाराज थे और विरोध कर रहे थे।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने 12 अगस्त को कहा, “हमने 45 हजार वर्गकिलोमीटर जमीन धार्मिक गतिविधियों के लिए चिह्नित की है। इस जमीन को कैंपस परियोजना के हिस्से से हटा दिया गया है और इसके लिए अंतिम योजना तैयार की जाएगी। यह कदम गांव वालों को शांत करने के लिए उठाया गया है, यह उनके हित में है।”

गोवा में आईआईटी कैंपस बनाने का फैसला केंद्र सरकार ने 2014 में लिया था। इसके बाद से बीते सात सालों में तीन गावों में इसके लिए ज़मीन का आवंटन हुआ। गुलेली तीसरा गांव है, जहां जमीन का आवंटन करने पर विवाद हुआ है। इससे पहले कनाकोना और संग्युम गांव में भी जमीन चिन्हित की गई थी, जिसे गांव वालों के विरोध के बाद निरस्त कर दिया गया था। फिलहाल गोवा के फार्मागुड़ी गांव में स्थित गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज में आईआईटी कैंपस चल रहा है।

 गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे जिस विधानसभा से विधायक चुने गए हैं, उसमें गुलेली गांव भी आता है। उन्होंने बताया कि जमीन को लेकर विवाद इसलिए शुरू हुआ क्योंकि कैंपस के लिए आवंटित की गई जमीन में वह हिस्सा भी शामिल हो गया, जहां गांव वाले धार्मिक क्रियाकलाप करते हैं। उन्होंने कहा कि जमीन से लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं और अब आशा है कि सरकार द्वारा मंदिर के लिए जमीन अलग कर देने से विवाद थम जाएगा।