मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एक बार फिर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के खिलाफ जमकर बरसे हैं। उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर संकट की इस घड़ी में भी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि महामारी के दौरान सत्ता की लालसा रखने के कारण अराजकता की स्थिति उत्पन्न होगी। उद्धव ठाकरे ने यह बातें एक ऑनलाइन चर्चा के दौरान कहीं।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनका मकसद कभी भी मुख्यमंत्री बनने का नहीं था। अगर मुख्यमंत्री रहते हुए वे इस महामारी में लोगों की जान नहीं बचा पाए तो मुख्यमंत्री बने रहने का क्या मतलब है? ठाकरे ने अपनी पूर्व सहयोगी बीजेपी को लेकर कहा कि बीजेपी के साथ संबंधों में विश्वास की कमी आ गई थी। ठाकरे ने कहा कि समय के साथ बीजेपी के साथ शिवसेना के वो संबंध नहीं रहे थे, जो प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे के ज़माने में थे। 

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ठाकरे ने कहा कि वे प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे ही थे जिनकी वजह से विपक्ष में रहते हुए भी शिवसेना और बीजेपी काफी लंबे अरसे तक एक दूसरे के साथ रहे। ये हिंदुत्व की विचारधारा ही थी, जिसने दोनों ही पार्टियों को लंबे अरसे तक एक साथ बांधे रखा। 

उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ गठबंधन और महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के मौजूद गठबंधन की तुलना करते हुए कहा कि बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस और एनसीपी के उनसे अधिक सम्मान के साथ पेश आते हैं। ठाकरे ने कहा कि खुद सोनिया गांधी उन्हें अमूमन फोन करती रहती हैं। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि शिवसेना के एक कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाने का बाला साहब ठाकरे से किया हुआ उनका वादा अभी तक अधूरा है। 

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दरअसल 2019 में शिवसेना जब बीजेपी से अलग हुई थी तब उद्धव ठाकरे ने इस बात का खुलासा किया था कि उन्होंने बाला साहब ठाकरे को यह वादा किया था कि एक दिन शिवसेना का कोई कार्यकर्ता ज़रूर मुख्यमंत्री बनेगा। ठाकरे ने कहा कि वे कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे लेकिन इस क्षेत्र में अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा।