भोपाल। कानपुर पुलिस शूट आउट के मुख्येआरोपी गैंगस्ट र विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी नेताओं ने यूपी सरकार की मंशा पर प्रश्न चिह्न लगाया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पूछा है कि अपराधी का अंत हो गया, अपराध और उसको सरंक्षण देने वाले लोगों का क्या? 





कांग्रेस राज्‍यसभा सदस्‍य और अधिवक्‍ता विवेक तन्‍खा ने ट्वीट कर कहा है कि विकास दुबे का मरना तय था मगर उसे पुलिस एनकाउंटर में नहीं मारना था बल्कि कोर्ट के आदेश के बाद फांसी पर लटकाया जाना चाहिए था। भले ही गुस्‍से में प्रतिशोध को उचित बताया जाए मगर यूपी सरकार ने न्‍यायिक व्‍यवस्‍था पर से भरोसा खो दिया है। विकास दुबे की लंबे आपराधिक जीवन में बड़े नेताओं के साथ फोटो चौंकाते हैं।





विवेक तन्‍खा ने ट्वीट किया है कि एनकाउंटर की आशंका कल से ही थी। इसी कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका कल प्रस्तुत हो चुकी है। यह कस्टडी में मौत का प्रकरण है। घटना की परिस्थितियों की जांच कोर्ट की निगरानी,नियंत्रण में हो। विकास को दंड मिलना तो निश्चित था परंतु यह पूरे खुलासे और कानूनी प्रक्रिया से होना था।



इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए सपा नेता और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा है कि एसटीएफ की गाड़ी नहीं पलटी बल्कि राज खुलने पर सरकार पलटने का डर था। इसीलिए सरकार पलटने से बचाई गई है।





अखिलेश यादव ने कल भी ट्वीट कर कहा था कि ख़बर आ रही है कि ‘कानपुर-काण्ड’ का मुख्य अपराधी पुलिस की हिरासत में है। अगर ये सच है तो सरकार साफ़ करे कि ये आत्मसमर्पण है या गिरफ़्तारी। साथ ही उसके मोबाइल की CDR सार्वजनिक करे जिससे सच्ची मिलीभगत का भंडाफोड़ हो सके।



एनकाउंटर पर कांग्रेस प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि कई लोगों ने पहले ही ये आशंका जताई थी।





उन्‍होंने कहा कि इस एनकाउंटर के बाद पर अनेकों सवाल छूट गए-



1. अगर उसे भागना ही था, तो उज्जैन में सरेंडर ही क्यों किया?



2. उस अपराधी के पास क्या राज थे जो सत्ता-शासन से गठजोड़ को उजागर करते?



3. पिछले 10 दिनों की कॉल डिटेल्ज़ जारी क्यों नहीं?