दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक के बाद महिलाओं को मिलने वाले गुजारे भत्ते को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा है कि "भले ही पत्नी व्यवसाय करती हो या कमा रही हो, फिर भी वो गुजारा भत्ता पाने की हकदार है।" अगर महिला कमाती है तो भी उसे गुजारा भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने साफ किया है कि महिलाओं का कमाई करने में सक्षम होना एक अलग विषय है, इसकी वजह से किसी महिला को अंतरिम रखरखाव या भरण पोषण भत्ता देने से इनकार करने का कोई आधार नहीं है, कोर्ट ने कहा है कि क्योंकि कई बार पत्नियां अपने परिवार के लिए अपने करियर का त्याग करती हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के जज सुब्रमण्यम प्रसाद ने महिलाओं को लेकर ये टिप्पणी तब की जब वे सेना के एक कर्नल के केस की सुनवाई कर रहे थे। कर्नल ने तलाक के बाद अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने कहा कि CRPC की धारा 125 का उद्देश्य उन महिलाओं की वित्तीय पीड़ा को कम करना है जो किसी वजह से तलाक ले लेती हैं। इस तलाक के बाद मिलने वाले गुजारे भत्ते से वे अपना और अपने बच्चों का ख्याल रख सके और उन्हें बेहतर भविष्य दे पाएं।

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 आर्मी के कर्नल को तलाक के बाद उनकी पत्नी को 33,500 रुपये महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था, जिसके  खिलाफ कर्नल ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी। कर्नल ने कहा था कि उनकी पत्नी टीचर है, आर्थिक रुप से सक्षम है। साथ ही उन्होंने पत्नी के चरित्र पर भी उंगली उठाई थी।