दिल्ली के जंतर-मंतर पर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया है। देश के शीर्ष पहलवानों में शुमार बजरंग पुनिया सहित कई पहलवानों ने फिर से धरना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम जंतर मंतर पर फिर से विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं और जब तक WFI अध्यक्ष की गिरफ्तारी नहीं हो जाती, तब तक हमारा धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।

विरोध प्रदर्शन में ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक जैसे दिग्गज धरने पर बैठे हुए हैं। मीडिया से बात करते हुए भारत को पदक दिलाने वाले एथलीट्स के आंसू भी छलके। साक्षी और विनेश रो पड़ीं। इन्होंने कहा कि पहलवानों को अब झूठा कहा जा रहा, जबकि वह सच्चाई की लड़ाई लड़ रही हैं। कोई फैसला न आने तक वह फिर से अब धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे। पहलवानों ने कहा कि WFI शक्तिशाली है तो क्या उन्हें न्याय नहीं मिलेगा?

पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वालीं साक्षी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "ढाई महीने हो गए हैं इंतजार करते करते, रिपोर्ट सब्मिट हुई है या नहीं हमें नहीं पता। हमारे सामने अब तक कोई भी रिपोर्ट नहीं आई है। अब रिपोर्ट सबके सामने आनी चाहिए। लोग हमें झूठा बता रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि हमारा प्रदर्शन झूठा था। यह हमें बर्दाश्त नहीं। इस मामले में दो दिन भी लगने नहीं चाहिए थे। एक लड़की नाबालिग है। यह एक संवेदनशील मुद्दा है। हमारी शिकायत झूठी नहीं है। सच्चाई की लड़ाई लड़ी है और हम जरूर जीतेंगे।"

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पहलवानों ने कहा, "हम प्रधानमंत्री से कहना चाहते हैं कि वे हमारी मांगों को सुनें। हमने जो-जो शिकायतें की हैं उस पर कार्रवाई होना चाहिए। मैंने, विनेश ने और बजरंग ने हाल ही में पदक जीते हैं। हम झूठ के लिए यहां क्यों आएंगे। हम कुश्ती के लिए आए हैं।" वहीं, बजरंग पुनिया ने कहा, "हमने शिकायत की थी। उस समय यह कहा जा रहा था कि हमने एफआईआर नहीं की है। अब एफआईआर हो चुकी है तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही।"

विनेश फोगाट ने कहा, "यह महिला खिलाड़ियों की सम्मान की बात है। हम ओलंपिक में पदक लाते हैं, लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता। अगर हमारे साथ ऐसा हो रहा है तो आम लड़कियों के साथ क्या होगा। हम जिनके खिलाफ लड़ रहे हैं वो लोग काफी बड़े हैं। उनकी राजनीतिक पहुंच है। हम ढाई महीने से इंतजार कर रहे हैं। खेल मंत्रालय में भी कोई भी नहीं सुन रहा। हमें इस बात का भरोसा था कि हमारी सुनी जाएगी। हमें अभी भी भरोसा है कि न्याय मिलेगा। हमें यह भी भरोसा है कि सरकार सुनेगी।"