सोशल मीडिया पर रील और स्टोरी पोस्ट करने का भी अपना मजा है। लगातार मिलती रीच, लाइक्स और कमेंट ने सोशल मीडिया अपडेट को नशा बना दिया है। इसी तरह सोशल मीडिया पर अपनी सफलता की कहानी पोस्ट कर इन्फ्लूएंसर बने आईएएस रवि सिहाग का यह शौक उनकी नौकरी पर संकट बन गया है। वे रील के हाथों ऐसे पकड़े गए हैं जैसे कोई रंगे हाथों पकड़ा जाता है। 

मामला कुछ यूं है कि सिवनी जिले के लखनादौन में एसडीओ राजस्व के पद पर पदस्थ रवि कुमार सिहाग ने आरक्षित वर्ग से परीक्षा उत्तीर्ण की है। 16 अगस्त 2024 को उनके खिलाफ शिकायत की गई थी कि उनके प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इसका खुलासा भी बेहद रोचक ढंग से हुआ है। रवि कुमार सिहाग ने जब तीसरी बार यूपीएससी पास की तो उनके कई फैन पेज बने। फैन पेज के जरिए लोग उसपर मोटिवेशनल रील काटकर वीडियो पोस्ट करने लगे। जब रील्स देखने वालों ने रवि के यूपीएससी के पुराने रिजल्ट्स पर गौर किया तो पाया कि रवि कुमार सिहाग ने साल 2018 और 2019 में दिए यूपीएससी के पहले अटेम्प्ट में किसी भी कोटे से आवेदन नहीं किया था।

जब उनकी रैंक अच्छी नहीं आई और आईएएस नहीं मिला तो उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में 2021 में ईडब्ल्यूएस का कोटा लगाया। इस बार रैंक अच्छी आई और कोटे में पोस्ट मिल गई। दावा किया गया कि रवि ने लूप होल का इस्तेमाल करके ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाया और यूपीएससी में लगा दिया। आरोप यह भी लगा कि उन्होंने इंस्टाग्राम पर रिजल्ट पोस्ट करते समय रिजर्वेशन वाले सेक्शन को छिपा दिया था। शिकायत के बाद केंद्र सरकार ने राजस्थान के मुख्य सचिव को जांच के आदेश दिए हैं। जांच में आरोप सिद्ध हुए तो आईएएस रवि कुमार सिहाग की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
हालांकि, एमपी में 600 से अधिक क्लास वन श्रेणी के अफसरों पर फर्जी प्रमाण पत्रों की जांच चल रही है लेकिन ऐसे मामले बरसों से पेंडिंग हैं। जांच कभी पूरी होती नहीं है और सजा कभी मिलती नहीं है। आईएएस जैसी श्रेणी में तो जांच रिपोर्ट का समय पर आना और भी मुश्किल काम है। लेकिन आईएएस रवि कुमार सिहाग के प्रमाण पत्रों पर केंद्र ने राजस्थान के सीएस से जानकारी मांगी है। अगर वे दोषी पाए गए तो नौकरी पर संकट गहरा जाएगा। 

आईएएस की भाषा तबादला करवाएगी आखिर! 

मध्य प्रदेश में बीते कुछ समय से बयानों ने राजनीतिक उथलपुथल मचा रखी है। अब तक तो नेता ही अपने बयानों के कारण संकट से घिर रहे थे इसबार एक आईएएस ने अपनी जुबान से अपने लिए संकट खड़ा कर लिया है। 

बात अशोकनगर की है। पंचायत सचिवों की एक बैठक थी। जिला पंचायत सीईओ राजेश कुमार जैन बैठक में थे नहीं लेकिन उन्होंने मोबाइल पर अपनी बात रखी। उन्होंने स्पीकर ऑन करवा कर बात की थी जिसे सभी सुन रहे थे। पंचायत सचिवों को हिदायत देते हुए उनकी भाषा बिगड़ गई। फटकारते हुए उन्होंने केंद्रीय मंत्री तथा स्थानीय सांसद-विधायकों को भी अपशब्द कह दिए। 

इस सार्वजनिक अपमान से पंचायत सचिव बिफर गए। उन्होंने कलेक्टर से शिकायत की। कलेक्टर ने जैसे तैसे बात संभाल ली लेकिन केंद्रीय मंत्री व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर की गई टिप्पणी पर बीजेपी विधायक ने कड़वा जवाब दे दिया। बात भोपाल तक पहुंच गई है। सार्वजनिक रूप से पंचायत सचिवों को अपशब्द कहने पर तो संभव है राहत मिल जाती मगर बात सिंधिया की है। जिस तरह जा दबाव है, माना जा रहा है कि अगली सूची में सीईओ को हटाया जाना तय है। यदि दबाव काम करेगा तो जनवरी के अंतिम सप्ताह में अशोक नगर जिला पंचायत के सीईओ बन कर गए 2016 बैच के आईएएस राजेश कुमार जैन चार माह में दूसरी जगह भेज दिए जाएंगे। 

अफसर चप्पल खा रहे हैं और सरकार ने मुंह की खाई

वायरल वीडियो के दौर में बीते सप्ताह एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ जिसके कारण सरकार को नीचा देखना पड़ा है। हुआ यूं कि अवैध वसूली की शिकायतों के बाद मोहन यादव की सरकार ने प्रदेश में सभी चेक पोस्ट बंद करने का फैसला लिया था। इसे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद उठाया गया एक बेहतर कदम निरूपित किया गया लेकिन इस निर्णय के बावजूद चेक पॉइंट्स पर वसूली के आरोप रुक नहीं रहे हैं।

ताजा मामला मंडला जिले के पांडूतला चेक पॉइंट का है। यहां जांच के दौरान आरटीओ के उड़नदस्ता द्वारा ड्राइवर की पिटाई का एक वीडियो वायरल हुआ। दावा किया जा रहा है कि यह चेकिंग के दौरान ट्रक चालकों से अवैध वसूली के दौरान हुए विवाद का वीडियो है। बात इतनी बढ़ गई कि परेशान ट्रक ड्राइवर ने परिवहन अमले में शामिल पुलिस अधिकारी की चप्पल से पिटाई कर दी। शिकायत पुलिस तक पहुंच गई। ड्राइवर इस बात से नाराज था कि परिवहन अफसरों ने उसे मारा और सबूत मिटाने के लिए उसका फोन तोड़ दिया था। वह एफआईआर करवाने पर अड़ा था लेकिन चेकिंग तो अवैध वसूली के कारण हो रही थी। एफआईआर होती तो बात और बिगड़ सकती थी। अफसरों ने शांति से काम लिया, हाथ पैर जोड़े, ड्राइवर को नया फोन दिलवाया तब जा कर मामला शांत हुआ। 

मगर पिटाई वीडियो वायरल हो गया और परिवहन आयुक्त ने एक दोषी पुलिस अधिकारी को निलंबित किया है लेकिन अवैध वसूली जैसी शिकायकों पर सरकार अब भी चुप है।

सर्पदंश में टॉपर एमपी के सिस्टम में करप्शन का जहर

बरसात का मौसम आने वाला है और सर्पदंश से मौत का जोखिम बढ़ने वाला है। सरकारी आकंडे के मुताबिक देश में सर्पदंश से हर साल 60 हजार मौतें होती हैं। ये मौते सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में होती है। इन आंकडों को आधा करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय सर्पदंश रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया है। सांपों पर नियंत्रण के लिए एमपी सरकार कोबरा लाने की योजना पर काम कर रही है। 

दूसरी तरफ सिवनी में सांप के काटने से एक व्यक्ति 30 बार मर गया तो किसी की सांप के काटने से 29 बार मौत हुई। सरकार हर बार जिंदा हो कर बार-बार मर रहे लोगों को मुआवजा भी दे रही है। यह गप नहीं बल्कि एमपी में फैले भ्रष्टाचार का एक नमूना है। 

करप्शन का यह मामला सिवनी का है जहां सर्पदंश से इलाज करने के नाम पर 11 करोड़ से ज्यादा की राशि हड़प ली गई। केवलारी विधानसभा में 47 लोगों को सांप से कटवाकर कागजों में मार दिया गया और उनके नाम पर करोडों की राहत राशि निकाल ली गई। दस्तावेज बता रहे हैं कि द्वारका बाई नामक महिला को सांप ने 29 बार काटा तो रमेश नामक व्यक्ति को 30 बार अलग-अलग दस्तावेजों में मृत बताया गया। हर बार उसकी मौत सांप के काटने से हुई। इन लोगों को पता भी नहीं है कि ये बार-बार मर रहे हैं और एक ही रिकॉर्ड को बार-बार लगा कर नए बिल तैयार किए गए। इस तरह 314 खातों में राहत राशि ट्रांसफर की गई। यह घोटाला 2019 से शुरू हुआ और 2022 तक जारी रहा।

करप्शन का सिस्टम ऐसा कि 46 लोगों ने सरकार के 11 करोड़ 26 लाख रुपये हड़प लिए। यह घोटाला तहसील और जिला स्तर पर मौजूद अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ। मृत व्यक्तियों के नाम पर बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन और पीएम रिपोर्ट के भी बिल पास किए जाते रहे। मामले के खुलासे के बाद एसडीएम, तहसीलदार सहायक ग्रेड समेत 46 लोग दोषी साबित हुए हैं। लेकिन पूरे मामले में सिर्फ एक कर्मचारी को बर्खास्त किया गया जबकि एक को सस्पेंड किया गया है। बाकी आराम में हैं।