धार का डेम कभी भी फ़ूट सकता है, इस आशंका के बीच मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कांफ्रेंस से धार के कलेक्‍टर पंकज जैन से कहा कि पंकज, जुट जाओ ये परीक्षा की घड़ी है। ऐसा खतरा जिसके मद्देनजर डैम के आसपास के 18 गांव खाली करवा लिए गए हैं। इनमें धार जिले के 12 और खरगोन के 6 गांव शामिल हैं। करीब 40 हजार लोगों संकट से घिर गए हैं। मूक प्राणियों की बात की क्‍या। ऐसा खतरा जिसे रोकने के लिए सेना बुला ली गई है। जिस आपदा को टालने के लिए नई नहर खोदी जा रही है ताकि पानी का दबाव कम हो सके।

सच में प्राकृतिक आपदा होती ही ऐसी है। लेकिन यह प्राकृतिक आपदा हो तो लाचारी समझी भी जाए। यह तो मानव निर्मित आपदा है। जी हां, यह लापरवाहियों और भ्रष्‍टाचार का लीकेज है। धार के इस डैम लीकेज ने भ्रष्टाचार का गढ़ कहे जाने वाले जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट कारनामों को फिर सतह पर ला दिया है। इस विभाग में भ्रष्‍टाचार के आरोप नई बात नहीं है मगर बीती अप्रैल में खुलासा हुआ था कि जल संसाधन विभाग के तीन अफसरों ने 3300 करोड़ रुपए की 7 बांध और नहर परियोजनाओं का काम शुरू होने के पहले ही ठेकेदारों को 877 करोड़ रुपए का एडवांस पेमेंट कर दिया। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

धार के डैम में भी यही सवाल हैं। 590 मीटर लंबे और 52 मीटर ऊंचे मिट्टी के बांध का निर्माण जल संसाधन विभाग ने दिल्ली की एएमएस कंस्ट्रक्शन कंपनी से कराया है। 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। अब तब 174 करोड़ रुपये व्यय हो चुके हैं। धरमपुरी विधायक पांचीलाल मेड़ा ने आरोप लगाया है कि डैम निर्माण में घटिया सामग्री लगाई गई है। पाल पर काली मिट्टी का भराव करने के बाद ठीक से दबाई नहीं गई।

एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कए सामाजिक कार्यकर्ता बांध के निर्माण समय ही घटिया निर्माण सामग्री का आरोप लगाने की शिकायत करते दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि घटिया सामग्री और निर्माण की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर भी की गई, लेकिन किसी जिम्मेदार अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया।

पड़ताल में पता चला कि कारम नदी पर चार साल पहले बनना शुरू हुए इस डैम के निर्माण की अनुमति भी उन्‍हीं अफसरों ने दी थी जिन पर एफआईआर दर्ज की गई है। उन्‍होंने ब्‍लेक लिस्‍टेड कंपनी को डैम बनाने का काम दिया। अब डैम में लीकेज के बाद पानी की दिशा मोड़ने के लिए पीछे की तरफ नहर खोदी जा रही है तो इधर भोपाल में अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्‍टाचार पर पर्दा डालने के लिए बहानों की नहरें खोदी जा रही है।

अब जब मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आपदा प्रबंधन की व्‍यवस्‍था जांच रहे हैं तो क्‍या उनकी नजर भ्रष्‍ट अधिकारियों पर पड़ेगी जिनके आचरण से डैम बनने के पहले ही फुटने की कगार पर आ गया? अव्‍वल तो ऐसे अधिकारी घेरे में आएंगे नहीं, आएंगे तो डैमेज कंट्रोल की नहरें खोदी ही जा चुकी हैं।

 

 

 

रिवर्स डेवपमेंट की मिसाल ट्रेक्‍टर पर आईएएस

आजादी के जश्‍न में बुनियादी सवाल फिर ताजा हो उठे हैं। ये बुनियादी सवाल आबादी की खाना, पानी, कपडे, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्य, बिजली, सड़क जैसे पैमानों से जुड़े हैं। यह समझा जा सकता है कि दूरस्‍थ आदिवासी क्षेत्रों में 70 सालों बाद भी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं मगर राजधानी और उसके 50 किलोमीटर के दायरे में? उम्‍मीद की जाती है कि यहां तो सड़क, बिजली, पानी पहुंचाए जा चुके होंगे। लेकिन जब भोपाल कलेक्‍टर, आईजी और एसपी को एक गांव जाने के लिए ट्रैक्‍टर और जेसीबी पर सवार होना पड़ा तो एक नई मिसाल मिल गई। रिवर्स डेवलपमेंट की मिसाल।

यह मिसाल नहीं बनती यदि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यक्रम न बनता। यह कार्यक्रम न होता तो अफसर कमरों में बैठे रहते, उन्‍हें मैदानी हकीकत कहां पता चलती? तय कार्यक्रम के अनुसार 15 अगस्‍त को बैरसिया तहसील के कढ़ैया चंवर गांव में ध्‍वजारोहण करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस प्रस्तावित कार्यक्रम की तैयारियों को जांचने के लिए कलेक्टर अविनाश लवानिया और आईजी इरशाद वली, ग्रामीण एसपी किरणलता केरकट्टा अपनी अपनी गाडि़यों से निकलें।  लेकिन रास्‍ते में मुसीबत में फंस गए। इस गांव की सड़क इतनी खराब है कि अधिकारियों की गाड़ियां अटक गईं। कलेक्टर अविनाश लवानिया और आईजी इरशाद वली गाड़ी से उतरकर ट्रैक्टर से गांव पहुंचे जबकि एसपी को जेसीबी पर सवार होना पड़ा।

रिवर्स डेवलपमेंट की इससे बेहतर मिसाल कहां मिलेगी भला?

ग्वालियर में बिछेगी ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के लिए नई शतरंज

कहते हैं, केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया अपनी जिद के पक्‍के हैं। कांग्रेस में रहते उनके इस स्‍वभाव को कई बार देखा गया है। बीजेपी में आने के बाद भी राजनीति की उनकी यह शैली दिखाई दी है मगर पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में उनकी यह शैली राजनीति की बिसात पर शह मात में उलझ गई।

इसके पहले अपने पसंदीदा अफसरों को मनचाही नियुक्ति दिलवाने वाले मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया को झटका लगा था जब मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक गलती पर सिंधिया के प्रिय अफसर को ग्‍वालियर आईजी पद से तत्‍काल हटा दिया था। ये वही अफसर थे जिनकी नियुक्ति के लिए सिंधिया अड़ गए थे और लंबे समय तक मामला अट‍का रहा था। करीब एक माह बाद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पसंद के अफसर की नियुक्ति निरस्‍त कर सिंधिया के पसंद के अफसर को आईजी बना दिया था। इसके अलावा परिवहन आयुक्‍त के पद पर नियुक्‍त सिंधिया के पसंदीदा अफसर को भी भ्रष्‍टाचार की कथित शिकायत पर हटा दिया गया था। यह निर्णय भी सिंधिया को बिना बताए लिया गया था।

अब आबकारी आयुक्‍त की बारी है। आबाकारी आयुक्‍त राजीव दुबे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद हैं। वे इस माह सेवानिवृत्‍त हो रहे हैं। कांग्रेस सरकार में तो सिंधिया ने ग्‍वालियर क्षेत्र में अपनी पसंद का अफसर ही नियुक्‍त करवाया था। बीजेपी में भी इस परंपरा को कायम रहने की संभावना को देखते हुए इस पद पर पोस्टिंग के लिए कुछ अफसर ‘महल’ के चक्‍कर लगाने लगे हैं तो कुछ मुख्‍यमंत्री सचिवालय के फेरे लगा रहे हैं। ये अफसर मुख्‍य सचिव से भी मेलजोल बढ़ा रहे हैं।

देखना होगा, ग्‍वालियर में स्थित आबकारी आयुक्‍त की कुर्सी पर सिंधिया की पसंद का अफसर बैठता है या मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शह-मात के जरिए सिंधिया को चित कर अपने पसंद के अफसर की नियुक्ति कर देते हैं।

 

दो महिला आईएएस की कैटवॉक

आईएएस अपने काम से हट कर कुछ करें तो उसका सुर्खियां बनना तय है। इस सप्‍ताह प्रदेश की दो महिला आईएएस रैंप पर वॉक के लिए चर्चा में आई। हाथकरघा दिवस की पूर्व संध्या पर आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत साड़ी स्पीक ग्रुप ने 'एक टुकड़ा खादी का' फैशन शो आयोजित किया। इसमें अलग-अलग प्रदेशों के बुनकरों द्वारा तैयार की गई शुद्ध हैंडलूम साड़ियां प्रदर्शित की गईं।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि खादी बोर्ड की प्रमुख सचिव स्मिता भारद्वाज और विशेष अतिथि हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम की एमडी अनुभा श्रीवास्तव ने भी खादी की साड़ी पहन कर कैटवॉक किया। सोशल मीडिया सहित विभिन्‍न प्‍लेटफार्म पर सरकार की योजनाओं का प्रचार कर रहे अफसरों के बीच दो महिला आईएएस द्वारा अपने विभाग के उत्‍पाद की ब्रांडिंग का यह तरीका भी पसंद किया गया।