मध्य प्रदेश में फिलहाल तो चुनाव की संभावना नहीं है, मगर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी होने लगी है। जब भोपाल में मुख्यमंत्री निवास में बीजेपी की ‘हाई पॉवर’ बैठक हो रही थी ठीक उसी समय मुरैना में ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने की मांग वाला पोस्टर लगा दिया गया। पोस्टर वायरल हुआ तो पुलिस ने जा कर उसे हटा भी दिया, लेकिन तीर तो कमान से निकल चुका था और पोस्टर वायरल हो चुका था।
जब विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के क्षेत्र मुरैना में सिंधिया के पक्ष में इस तरह का माहौल बनाने का जतन हो रहा था उसी समय मुख्यमंत्री मोहन यादव का सिंधिया के कट्टर विरोधी पूर्व सांसद केपी यादव के मेहमान बन कर चले गए। केपी यादव ने अशोक नगर में अपने पिता की मूर्ति का अनावरण कार्यक्रम रखा था। यहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जाना जितनी चर्चा का केंद्र बना उतना ही अचरज एक गुपचुप मुलाकात पर भी हुआ। पूर्व सांसद केपी यादव द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की कांग्रेस के पूर्व विधायक गोपाल सिंह चौहान से मुलाकात हुई। गोपाल सिंह चौहान भी सिंधिया के कट्टर विरोधी हैं।
केपी यादव की तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से ‘दुश्मनी’ जगजाहिर है। केपी यादव ने ही उन्हें 2019 का लोकसभा चुनाव हराया था। सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद केपी यादव हाशिये पर चले गए। केपी यादव के कार्यक्रम में सिंधिया तो नहीं थे लेकिन सीएम मोहन यादव का जाना और पूर्व विधायक गोपाल सिंह चौहान जैसे विरोधी नेताओं से मुलाकात आईना दिखाने की तरह है। मानो सीएम डॉ. मोहन यादव ने अशोकनगर में शक्ति संतुलन का प्रयत्न किया है। इसे ग्वालियर क्षेत्र में सिंधिया की बढ़ती सक्रियता का जवाब भी माना जा रहा है।
ग्वालियर-चंबल में बीजपी वर्सेस बीजेपी के साथ कांग्रेस भी मैदान में
एक तरफ, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी के अन्य नेताओं के बीच वर्चस्व का संघर्ष सतह पर दिखाई दे रहा है तो कांग्रेस ने भी बीजेपी के खिलाफ मैदानी अभियान छेड़ दिया है। मुरैना लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ‘हर बूथ मजबूत’ अभियान शुरू कर रही है। वोट चोरी के आरोपों के बीच यह वोट रक्षक अभियान कांग्रेस को बूथ पर मजबूत करने का जतन है।
मुरैना लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की दिमनी विधानसभा सीट भी आती है। कांग्रेस ने मुरैना सहित देश में पांच सीटों को चुना है जहां लोकसभा चुनाव में कम अंतर से हारी हुई थी। इस अभियान का लक्ष्य मतदाता सूची का सत्यावन कर हर बूथ पर कांग्रेस को मजबूत करना है। अभियान के तहत विधानसभा क्षेत्र में 20-20 कलस्टर बनाए जाएंगे। हर कलस्टर में विशेष रूप से प्रशिक्षित बूथ रक्षक तैनात किए जाएंगे। प्रियंका गांधी की टीम इन बूथ रक्षकों को प्रशिक्षण देगी ताकि वे बूथ पर किसी भी तरह की अनियमितता को रोक सकें।
वोट चोरी रोकने का यह अभियान प्रदेश में ओर कहीं से नहीं बल्कि ग्वालियर से शुरू होने का भी अपना राजनीतिक महत्व है। सिंधिया के बीजेपी मे जाने के बाद से कांग्रेस वहां स्वयं को महल की राजनीति के प्रभाव मुक्त पा रही है। रणनीति के साथ मैदान में खुद को मजबूत करना बीजेपी के साथ सिंधिया को भी चुनौती है।
शिवराज सिंह चौहान क्यों जोड़ने लगे हाथ?
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी छवि समाधान करने वाले नेता की बनाई है। चाहे मनचाहा समाधान हो या न हो, वे समस्या के दौर में जनता के बीच पहुंचते जरूर थे। इनदिनों भी ऐसा हो रहा है लेकिन लाख जतन के बाद भी समाधान हो नहीं रहा है।
खाद की समस्या को लेकर जगह-जगह कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सहायता मांगी जा रही है। बीते दिनों जब वे सतना पहुंचे तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका काफिला रोक लिया। कांग्रेस कार्यकर्ता किसानों के साथ खाद के संकट पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। काफिला रूका तो शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात जरूर की लेकिन असहज स्थिति बन गई थी। इसके बाद तो हरदा, सीहोर में भी किसानों को देख कर कृषि मंत्री शिवराज सिंह काफिला रूकवा कर किसानों से मिले।
शिवराज ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों की समस्या का निराकरण किया जाए। इन वायरल वीडियो के बीच रायसेन का भी एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडियाकर्मी के हाथ जोड़ लिए। मीडियाकर्मी ने बार-बार केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से नकली दवा को लेकर सवाल किया तो वे खीज गए। उन्होंने कह दिया कि मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं, भाई। ऐसे नहीं करते हैं। अगर कोई समस्या है तो बैठ कर बात की जाती है।
यह बात सही है कि मीडियाकर्मी बार-बार माइक मुंह के सामने कर शिवराज सिंह चौहान को असहज कर रहा था लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद सवाल को उपयुक्त करार दिया जा रहा है। असल में किसान खाद संकट, बिगड़ी फसल का सर्वे न होने जैसी समस्याओं से परेशान हैं फिर नकली बीज और नकली कीटनाशक उनकी फसलों को बर्बाद कर रहा है। वे शिवराज सिंह चौहान से समाधान चाहते हैं। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि शिवराज अब मुख्यमंत्री नहीं केंद्रीय कृषि मंत्री हैं और किसानों के अधिकांश मामले राज्य सरकार से जुड़े हैं। यही कारण है कि किसान प्रतिनिधियों से तो सहज मुलाकात कर समस्याओं के समाधान का आश्वासन दे रहे हैं लेकिन कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान मीडिया के हर सवाल से बच रहे हैं।
माफी मंगवाते नेता पुत्र, बीजेपी असहाय, पीट रही जनता
क्या बीजेपी अनुशासन निर्देशों का कोई महत्व नहीं रह गया है। नेताओं के बिगड़े बोल और नेता पुत्रों के अंदाज तो यही कह रहे हैं। हर माह, हर सप्ताह कहीं न कहीं कोई नेता या कोई नेता पुत्र अपने मद में पार्टी को नीचा दिखाने का काम कर रहे हैं। ताजा मामला देवास का है। नगर निगम ने नवरात्रि के पहले लगाए गए विधायक गायत्री राजे के होर्डिंग्स हटवाए तो विधायक पुत्र भड़क गए। वे आधी रात कार्यकर्ताओं के साथ निगम भवन पर पहुंच गए और जमकर हंगामा किया। पुलिस ने बीच बचाव किया तो विधायक पुत्र धमकाने लगे। नेता पुत्र ने गुस्से में यहां तक कह दिया कि, ''ये शहर हमारा है। निगम भवन में भी हमने ही बनवाया है। ऐसा न हो कि इसे तोड़ना पड़ जाए।'' हंगामा ऐसा था कि निगम प्रशासन को सरेंडर करना पड़ा। नेता पुत्रों की दबंगई के ऐसे कितने ही मामलों पर संगठन आंखों पर पट्टी बांधे बैठा है।
और जब संगठन ऐसे मामलों को नजरअंदाज करता है तो जनता अपनी तरह से व्यवस्था दुरूस्त कर देती है। इंदौर में ऐसा ही हुआ। इंदौर के विधायक गोलू शुक्ला के परिवार की बस से दुर्घटना में एक ही परिवार के चार सदस्य की मौत हुई तो ड्राइवर पर कम सख्त धाराओं में एफआईआर दर्ज करने के आरोप लगे। विधायक गोलू शुक्ला ने कहा कि बाइक खड़ी बस से टकराई थी जबकि पुलिस ने कहा कि बस ने पीछे से टक्कर मारी है। इस घटना के बाद इंदौर में लोगों ने विधायक गोलू शुक्ला के परिवार की एक बस को रूकवा कर ड्राइवर को नीचे उतारा और जमकर पीट दिया। उनका आरोप था कि ड्राइवर तेज बस चला रहा था।