नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 6,654.93 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 68 प्रतिशत अधिक है। यह वही साल है जब लोकसभा चुनाव भी हुए थे। सदस्यता के लिहाज से खुद को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कहने वाली बीजेपी ने पिछले वित्त वर्ष में मिले चंदे की रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपी है।
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध इस रिपोर्ट में 20,000 रुपये से अधिक के सभी चंदों का विवरण शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, यह चंदा 1 अप्रैल 2024 से 30 मार्च 2025 के बीच प्राप्त हुआ। इस अवधि में देश में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनाव भी हुए। पिछले वित्त वर्ष में भाजपा को 3,967 करोड़ रुपये का चंदा मिला था, जबकि इस बार इसमें 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी को मिले कुल चंदे का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा इलेक्टोरल ट्रस्ट्स से आया। इसमें प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से ₹2,180 करोड़, प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट से ₹757 करोड़, न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट से ₹150 करोड़ व अन्य ट्रस्ट्स से कुल ₹3,112.5 करोड़ प्राप्त हुए। शेष चंदा कंपनियों और व्यक्तिगत दानदाताओं से मिला है।
कॉरपोरेट दानदाताओं में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भाजपा को ₹100 करोड़ रुपए का डोनेशन दिया है। वहीं, रुंगटा संस प्राइवेट लिमिटेड ने ₹95 करोड़, वेदांता ने ₹67 करोड़, मैक्रोटेक डेवलपर्स (लोढ़ा) ने ₹65 करोड़, बजाज समूह की तीन कंपनियां मिलकर ₹65 करोड़ और डिराइव इन्वेस्टमेंट्स ने ₹50 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके अलावा मालाबार गोल्ड की ओर से ₹10 करोड़, कल्याण ज्वेलर्स से ₹15.1 करोड़, हीरो ग्रुप से ₹23.65 करोड़, दिलीप बिल्डकॉन से ₹29 करोड़ और आईटीसी लिमिटेड ₹35 करोड़ रुपए भाजपा के खाते में गए हैं।
मुख्य विपक्षी कांग्रेस की बात करें तो पार्टी को मिलने वाले चंदे में भारी कमी दर्ज की गई है। जहां भाजपा के चंदे में 68 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई वहीं कांग्रेस को मिलने वाले डोनेशन में 43 फीसदी की गिरावट देखी गई है। इस वर्ष कांग्रेस को महज ₹522 करोड़ रुपए मिले। जबकि पिछले साल पार्टी को 1,129 करोड़ रुपए मिले थे।
बता दें कि 2024-25 का साल इलेक्टोरल बॉन्ड खत्म होने के बाद पहला साल है। सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को असंवैधानिक घोषित किया था। पिछले वर्षों में राजनीतिक दलों को 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का गुमनाम चंदा मिला था, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा भाजपा को प्राप्त हुआ था। बहरहाल, इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स बंद होने के बाद भी भाजपा चंदा वसूलने के मामले में शेष सभी पार्टियों से काफी आगे है।