कभी चाल, चरित्र और चेहरे की राजनीति करने का दावा करने वाली बीजेपी में अब सादगी गुण नहीं गुनाह बन गया है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि बीजेपी सांसद भारतीय जनता पार्टी की राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि कह रही हैं। सांसद सुमित्रा वाल्मीक के साथ एक बार फिर अभद्र व्यवहार हुआ वह भी बीजेपी कार्यालय जबलपुर में। 

सुमित्रा वाल्मीकि चार संभागों की बैठक में शामिल होने जबलपुर बीजेपी कार्यालय पहुंची थीं। इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे। जाहिर है, वहां सुरक्षा के इंतजाम ज्‍यादा थे। लेकिन पार्टी की व्‍यवस्‍था देखिए कि गेट पर कोई भी ऐसा पदाधिकारी नहीं था जो बैठक में आने वाले अपने नेताओं को पहचान सके। सामान्‍य जीवन में भी सादगी से रहनी वाली सांसद सुमित्रा वाल्मीकि जब लगभग अकेले बैठक स्थल पर पहुंची तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। जब उन्‍होंने अपना परिचय दे कर अंदर जाना चाहा तो उनके साथ अभद्रता की गई है। आहत सांसद सुमित्रा वाल्मीक लौट कर जाने लगी तब पार्टी नेता हरकत में आए और समझा-बुझा कर उन्हें बैठक में बुलाया गया। 

यह पहला मामला नहीं है जब सांसद सुमित्रा वाल्‍मीक को सादगी के कारण अपमान झेलना पड़ा है। 5 जुलाई 2022 को जब वे सागर सर्किट हाउस में ठहरी थीं तो बिना बताए उनका सामान बाहर कर दिया गया था। 21 जून 2023 को विश्व योग दिवस के अवसर पर उनकी कुर्सी मंच पर पीछे लगाई गई थी, जिस पर उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर सौरभ सुमन को जिम्मेदार ठहराया था।  

अब तो बीजेपी कार्यालय में ही वे दुर्व्‍यवहार का शिकार हो गईं। इस दौरान उनकी नाराजगी साफ झलक रही थी। अपमान की पीड़ा उनके चेहरे पर ही नहीं बल्कि हावभाव में भी दिखाई दे रही थी। आहत हो कर उन्‍होंने कहा कि बार-बार मेरे साथ अभद्रता क्यों होती है? इसके लिए मुझे कुंडली दिखानी पड़ेगी। वे अपनी कुंडली दिखाने की बात कर रही है लेकिन सिस्‍टम तो बीजेपी का बिगड़ा है। भव्‍यता पार्टी की पहचान बन गई है और ऐसे में नेता के लिए भी यह अनिवार्य मान लिया गया है कि वह आडंबर के साथ जिये। शायद यही वजह है कि सांसद सुमित्रा वाल्‍मीक को बार-बार अपमानित होना पड़ता है क्‍योंकि वे अपने साथ कार्यकर्ताओं की भीड़ या सुरक्षाकर्मी नहीं ले जाती है, सादगी से रहती हैं। 

सुमित्रा ताई ने तो माफी मांग ली, क्या दूसरे जिम्मेदार भी मांगेंगे?

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इंदौर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में माफी मांगी है। उन्होंने कहा किये हमारी पीढ़ी की गलती है, जिसके कारण आज के युवाओं को नदियां साफ नहीं मिली हैं। हम सबके सामने नई पीढ़ी से माफी मांगते हैं। ये जो भी कुछ हुआ है, आज जो भी नदियों की स्थिति है, इसके लिए हमारी पीढ़ी जिम्मेदार है। हमने सब बिगाड़ दिया है। गांवों में अभी भी स्थिति ठीक है। हमने कान्ह और सरस्वती नदी की दुर्दशा कर दी है। आने वाले समय में सिंहस्थ में शिप्रा नदी का पानी नहीं मिल सकता क्योंकि शिप्रा का पानी दूषित है। 

इंदौर से लगातार आठ बार की सांसद और लोकसभा की पूर्व अध्‍यक्ष सुमित्रा महाजन का यह कहना सिर्फ एक बयान नहीं है बल्कि यह उस पीड़ा की अभिव्‍यक्ति है जो भीतर घुटन पैदा कर रही है। सुमित्रा महाजन ने स्‍वच्‍छ राजनीति और बेहतर पर्यावरण देखा है। जैसा वे कह रही हैं उनके जैसे लोगों के देखते ही देखते समूचा पर्यावरण नष्‍ट हो गया। हर तरह का पर्यावरण दूषित हुआ है। डग-डग रोटी, पग-पग नीर वाले मालवा में ऐसी दुर्दशा कि इंदौर में कान्ह और सरस्वती जैसी नदियों की सफाई के लिए एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुका है, लेकिन फिर भी नदियों में प्रदूषण चरम पर है। 

केवल नदियां ही क्‍यों प्रकृति का हर अंग बीते दो दशकों में संकटों से घिरा है। अव्‍वल तो सरकार की नीतियां ठीक नहीं है और जो नीतियां हैं उनका क्रियान्‍वयन ठीक नहीं हैं। अवैध खनन, अनियंत्रित प्रदूषण और असीमित पेड़ कटाई ने पूरे पर्यावरण को बिगाड़ कर रख दिया है। ऐसे ही राजनीतिक पर्यावरण भी बिगड़ा है। ताई ने तो माफी मांग ली उनका क्या जो जिम्मेदार हैं और अब सिंहस्थ के पहले फिर करोड़ों खर्च की योजना बना रहे हैं।

श्रेय की होड़ में बदल दिया नितिन गडकरी का कार्यक्रम

बीते सप्‍ताह मध्य प्रदेश के सबसे लंबे फ्लाईओवर ब्रिज का उद्घाटन हुआ। यह ब्रिज अपने निर्माण के समय से ही विवादों से घिरा हुआ है और इसका उद्घाटन भी विवाद से बच नहीं सका। आरोप लगा कि ब्रिज का उद्घाटन करने आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कार्यक्रम श्रेय लेने की होड़ में बदला गया। आयोजन स्‍थल बदलने की वजह बीजेपी की अंदरूनी राजनीति बताई गई। 

आमतौर पर लोकार्पण कार्यक्रम उसी स्‍थल पर होता है जिसका लोकार्पण किया जा रहा है। इसलिए तय किया गया था कि उद्घाटन कार्यक्रम दमोह नाका पर किया जाए। लेकिन ऐनवक्‍त पर आयोजन स्‍थल बदल कर मेन रोड कर दिया गया। आरोप लगा कि आयोजन स्‍थल लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के दबाव में बदला गया। तर्क दिया गया कि दमोह नाका क्षेत्र में आयोजन होता तो ब्रिज निर्माण का श्रेय उस क्षेत्र के विधायक अभिलाष पांडे के हिस्‍से में चला जाता। जबकि समर्थक चाहते थे कि इसका क्रेडिट पीडब्‍ल्‍यूडी मंत्री राकेश सिंह को मिले। इसलिए आयोजन स्‍थल बदलवा कर मंत्री राकेश सिंह के क्षेत्र मेन रोड पर ले जाया गया। 

कांग्रेस ने आयोजन स्‍थल बदलने का विरोध भी किया। कांग्रेस ने कुछ माह पहले भी विरोध किया था कि ब्रिज बन कर तैयार है लेकिन श्रेय लेने के फेर में जानबूझ कर इसके उद्घाटन में देरी हो रही है। कांग्रेस के विरोध अलावा ब्रिज के साथ विवाद का एक अध्‍याय केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान के कारण भी जुड़ा। मंत्री नितिन गडकरी ने पुल निर्माण के लिए तत्‍कालीन कांग्रेस सरकार और तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री कमलनाथ का उल्‍लेख किया। संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कमलनाथ का नाम लिया तो जवाब में कमलनाथ ने भी नितिन गडकरी की तारीफ की है। उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट कर नितिन गडकरी को बधाई दी है। उन्होंने आगे लिखा, 'मैं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी बधाई देता हूं कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि कांग्रेस की सरकार के समय में मैंने इस फ्लाई ओवर के लिए प्रस्ताव भेजा था। मैं आशा करता हूं कि नितिन गडकरी की तरह अन्य केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश की सरकार भी मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल में कांग्रेस सरकार द्वारा किये गये विकास कार्यों का श्रेय खुद लेने की होड़ नहीं करेंगे और प्रदेश की जनता को बताएंगे कि चाहे मेट्रो परियोजना हो या महाकाल कॉरिडोर का निर्माण इन सबकी शुरुआत कांग्रेस सरकार ने की थी।'

आखिर क्यों पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने जाहिर की आम सूचना

यह चौंकाने वाला है कि पूर्व गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने आम सूचना जारी कर जहां अपने वारिसों की जानकारी दी है। अपने वकील द्वारा आम सूचना जारी करते हुए पूर्व गृह मंत्री और विधायक भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सागर के स्वर्गीय दीवान अमोल सिंह के पुत्र भूपेंद्र सिंह के परिवार में पत्‍नी सरोज सिंह, अविवाहित पुत्री उपमा, काजल और अनुप्रिया और पुत्र अविराज सिंह हैं। इसके अलावा बड़ी पुत्री अमृता सिंह का विवाह हो चुका है। इसके अलावा उनके परिवार में कोई सदस्य नहीं है। भूपेंद्र सिंह के व्यवसाय एवं कृषि में इन सदस्यों के अलावा ना तो कोई हिस्सेदार है और ना ही कोई पार्टनर है। 

इस सूचना के अंत में भूपेंद्र सिंह के वकील ने कहा है यदि कुटुंब के किसी सदस्य व्यावसाय के सिलसिले में भूपेंद्र सिंह के नाम का उपयोग किया जाता है या किसी गैरकानूनी गतिविधि में भूपेंद्र सिंह के नाम का दुरुपयोग किया जाता है। ऐसे किसी कृत्य के कारण कोई तीसरा पक्ष भूपेंद्र सिंह पर आरोप लगाता है और कोई भी मीडिया उसे अनुचित तरीके से प्रचार प्रसार करता है तो भूपेंद्र सिंह कानूनी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होंगे। 

अचानक इस जाहिर सूचना ने सबको चौंकाया और इसका कारण जानने को प्रेरित किया। पता चला कि रिश्तेदारों द्वारा पूर्व मंत्री के रसूख एक इस्तेमाल कर अवैध काम करने के आरोपों से तंग आ कर पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने यह कदम उठाया है। इस तरह उन्होंने अपने भाई भतीजों की हर गतिविधि से खुद को अलग कर लिया। और यह ताकिद भी की है कि यदि उनके कुटुंब के किसी व्‍यक्ति के काम से जोड़ कर उनका नाम लिया गया तो वे कानून कार्रवाई करेंगे।