भाई बहन के प्यारे से रिश्ते को समर्पित रक्षाबंधन का पावन पर्व 22 अगस्त को मनाया जाएगा। हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को राखी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने प्यारे भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं। बहनें भाई की खुशहाली की कामना करती हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार माता लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधी थी, और उन्हें अपना भाई बनाया था। वहीं एक कथा के अनुसार द्रोपदी ने श्रीकृष्ण को राखी बांधी थी, जिसके बाद चीर हरण के दौरान भगवान ने द्रोपदी की लाज बचाई थी।

इस बार सावनी पूर्णिमा पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस बार भद्रा नक्षत्र का साया नहीं होगा। मान्यता है कि भद्रा में राखी नहीं बांधी जाती लेकिन इस साल राखी के मौके पर भद्रा का वास धरती पर नहीं है। इसलिए बहनें दिन में किसी भी समय अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकती हैं।

 इस बार रक्षाबंधन के दिन शुभ संयोग भी बन रहा है, जो इस पावन पर्व को और भी महत्वपूर्ण बना रहा है। पंडित विनोद गौतम के अनुसार इस पावन पर्व पर दो शुभ संयोग बन रहे हैं। पहला मातंग योग और दूसरा शोभन योग बन रहा है। मातंग योग सुबह से शाम तक रहेगा। जबकि शोभन योग सुबह से दोपहर 12 बजे तक होगा। वहीं भद्रा सूर्योदय के पहले ही खत्म हो जाएगी। रविवार 22 अगस्त को मनाए जा रहे रक्षाबंधन पर अद्भुत संयोग है। शाम 4.30 से 6 बजे तक राहूकाल में राखी बंधने से बचना चाहिए। 

राखी रेशमी धागे से बनी हो, लाल, पीले रंग की राखी पहले भगवान को अर्पित करें फिर अपने भाई के माथे पर तिलक कर उनकी आरती उतारें उनके हाथ में श्रीफल दें, और फिर राखी बांधें और भाई का मुंह मीठा करवाएं। राखी भाई की दायीं कलाई पर बांधें और इस मंत्र का उच्चारण करें ‘ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’इस मंत्र का उच्चारण करने से शुभफल की प्राप्ति होती है।