नई दिल्ली। कांग्रेस नेता शशि थरूर का मानना है कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर एक प्रेरक कप्तान नहीं थे। थरूर ने स्पोर्ट्स कीड़ा से बातचीत करने के दौरान कहा कि सचिन के पास एक बेहतर और मजबूत टीम नहीं थी, लेकिन वे एक प्रेरक कप्तान भी नहीं थे। थरूर ने अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए सचिन का ही हवाला देते हुए बताया है कि खुद सचिन भी यह मानते थे कि वे एक प्रेरणादायक कप्तान नहीं थे। 

शशि थरूर ने कहा है कि जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर कप्तान नहीं बने थे तब मैदान में उनके तौर तरीकों से यह प्रतीत होता था कि कप्तान के तौर पर वे एक बहुत ही बेहतर विकल्प हो सकते हैं। वे स्लीप में फिल्डिंग करते थे, समय समय पर टीम के कप्तान को जा कर सलाह भी देते रहते थे। इन सब वजहों से लगता था कि सचिन में टीम का नेतृत्व करने की काबिलियत है। लेकिन जब सचिन को कप्तानी मिली तब एक कप्तान के तौर पर उनके प्रदर्शन यह बात ज़ाहिर हो गई कि सचिन एक सफल कप्तान नहीं हो सकते। 

हालांकि थरूर ने यह भी कहा है कि एक कप्तान के तौर पर उनके औसत प्रदर्शन की वजह यह भी रही होगी कि उन्हें अपनी बल्लेबाज़ी के बारे में भी सोचना रहा होगा। थरूर ने कहा कि सचिन को खुद जब दोबारा कप्तानी करने का विकल्प दिया गया था तब उन्होंने कप्तानी करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया था। 

सचिन तेंदुलकर ने कुल 73 वनडे और 25 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की थी। जिसमें भारतीय टीम मात्र 23 वनडे और 9 टेस्ट मैच ही जीत पाई। सचिन को कप्तानी मोहम्मद अजहरुद्दीन के कप्तानी छोड़ने के बाद मिली थी। जब सचिन कप्तान थे तब अजहरुद्दीन और सचिन के बीच खटास ड्रेसिंग रूम में समय समय पर उजागर हो जाया करती थी। सचिन ने टीम मैनेजमेंट और सेलेक्टरों से भी कई दफा कहा था कि अजहर उनकी कप्तानी में जान बूझ के खराब खेलते हैं। 

भारतीय टीम जब मैच फिक्सिंग विवादों से घिर गई तब उसके बाद टीम मैनेजमेंट और बोर्ड ने सचिन तेंदुलकर का एक बार फिर रुख किया था। लेकिन सचिन ने कप्तानी स्वीकार करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। और आखिरकार कप्तानी सौरव गांगुली को मिल गई।