p style= text-align: justify strong - डॉ. महेश परिमल - /strong /p p style= text-align: justify एक् बाबा को पकड़ने के लिए पुलिस के 40 हजार जवानों का जमावड़ा भी काम नहीं आया। इस दौरान हरियाणा सरकार उक्त बाबा के सामने पूरी तरह से नतमस्तक दिखाई दी। मुख्यमंत्री मनोहर खट्‌टर के पास गृह विभाग की जिम्मेदारी भी है। लेकिन बाबा के हजारों समर्थकों को शायद वे अपना वोट बैंक मान रहे थे इसलिए किसी भी तरह की कार्रवाई से वे बचते दिखाई दिए। लेकिन उन्हें जब लगा कि प्रधानमंत्री का दौरा खत्म होने वाला है उसके पहले कुछ न कुछ तो ऐसा होना चाहिए जिससे मुंह तो दिखाया जा सके। इसलिए रातों-रात कार्रवाई की गई। एक सरकार को इतना लाचार कभी नहीं देखा गया। अब जब आश्रम में पुलिस घुस चुकी है तब पता चल रहा है कि वहां किस तरह से हर तरह के गलत कामों का गोरखधंधा चल रहा था। ऐसा लग रहा है मानो हरियाणा सरकार ने एक बाबा के आगे समर्पण कर दिया है। /p p style= text-align: justify बाबा बार-बार कोर्ट की अवमानना कर रहा है उनमें ऐसी हिम्मत आखिर आई कैसे? क्या राजनीतिक संरक्षण के बिना यह संभव है। हत्या के एक आरोपी से मुख्यमंत्री अपील करे कि वे समर्पण कर दें क्या यह सब ठीक है। इतने दिनों तक बाबा की घेराबंदी करने वाले जवानों पर जो खर्च हुआ है उसे भी यदि बाबा से ही वसूला जाए तो यह एक सबक होगा अन्य बाबाओं के लिए। आश्चर्य इस बात का है कि क्या बाबा एक भारतीय नागरिक नहीं हैं? उन पर कोई कानून क्यों लागू नहीं होता? /p p style= text-align: justify धार्मिक संप्रदायों के मठाधीशों की ताकत देश के नेताओं से अधिक होती है उनके सामने पुलिस भी लाचार हो जाती है। आसाराम बापू हो इमाम बुखारी हो बाबा रामदेव हो या फिर बाबा रामपाल हों। यदि इनकी धरपकड़ करनी हो तो पुलिस की हालत खराब हो जाती है। बाबा को गिरफ्तार करने के लिए गए पुलिस बल पर आश्रम की तरफ से गोलियां चलाई जाए आंसू गैस के गोले छोड़े जाएं भक्तों के नाम पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि बाबा स्वयंभू ईश्वर हैं। यह तो कानून अपने हाथ लेने की बात हुई। आश्रम से इस तरह की हरकतों से लोगों को आघात लगता है। आज देश में हर तरह के बाबाओं को कानून से खिलवाड़ करने की छूट मिली हुई है। ये बाबा चमत्कार करते हैं तो लोग उनके अंधभक्त बन जाते हैं। देश में जितना अधिक शिक्षा का प्रसार हुआ है उतना ही अधिक अंधश्रद्धा का सैलाब भी उमड़ा है। लाखों समर्थक कानून की परवाह न करते हुए कथित बाबाओं को बचाने के लिए सामने आ जाते हैं। बच्चों और महिलाओं को ढाल बनाया जाता है। तब कानून भी लाचार हो जाता है। आसाराम की धरपकड़ हुई तब भी पुलिस लाचार नजर आई थी इधर नारायण सांई फरार भी हो गया था। ये तथाकथित बाबा जब लोगों को ठगते हैं तब इन्हें किसी प्रकार का डर नहीं लगता पर जब उन्हें अदालत जाना होता है तब डर लगता है। कोर्ट के सामने आने पर उनकी कोई आध्यात्मिक शक्ति या योग शक्ति काम नहीं आती। आखिर ये किस तरह के बाबा हैं। भक्त के सामने बेखौफ और कानून के सामने आने में डरपोक। /p p style= text-align: justify हर पंथ के एक बाबा होते हैं। बाबा रामपाल के समर्थक मानते हैं कि उनके पास कोई दैवीय शक्ति है। किंतु अन्य लोग मानते हैं कि बाबा रामपाल ढोंग का दूसरा नाम है। देश में कई बाबा हुए पर किसी ने भी मौत पर विजय प्राप्त नहीं की है। सभी को इसका सामना करना पड़ा है। पहले तो बाबा रामपाल ने सरकार को ही चुनौती दे दी थी कि मुझे पकड़कर बताओ। परंतु पुलिस सख्त नहीं हो पाई। बाबा समर्थक और गांव के लोगों के बीच झड़पें होती रहीं हैं। एक घटना में तो गांव के तीन लोग मारे गए। इस संबंध में बाबा रामपाल को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया। उनके हाजिर न होने पर इसे अदालत की अवमानना माना गया। इसलिए उन्हें हाजिर होने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिया कि वे इस आदेश को तत्काल अमल में लाएं। हर बाबा के पास लोगों को भरमाने की अपार शक्ति होती है। लोग उनके वश में आ जाते हैं फिर वे यह भी नहीं देखते कि वे क्या कर रहे हैं? ये अंधभक्त इस तरह के बाबाओं को अपना भगवान मानने लगते हैं। पिछले कुछ दशकों से समाज इतना जाग्रत हुआ है उसके बाद भी बाबाओं का साम्राज्य घटने के बजाए बढ़ा ही है। /p p style= text-align: justify रामपाल ने अपने आश्रम की घेराबंदी सुनियोजित तरीके से की थी। आश्रम के पास अपने कमांडो हैं। आश्रम के लोगों का दावा है कि उनके पास 20 हज़ार ब्लैक कमांडो हैं। लोगों ने टीवी में देखा होगा कि लाठी-डंडा लिए और हेल्मेट पहने लोग आश्रम को घेर कर खड़े हैं। रणनीति के तहत महिलाओं को नीचे बिठा दिया गया है। आखिर पुलिस ने धारा 144 लागू होने के बाद इतने लोगों को कैसे जमा होने दिया? बताया गया है कि कमांडो फोर्स में एनएसजी सेना और पुलिस के रिटायर्ड लोग हैं। एनएसजी और सेना का कौन कमांडो रामपाल के आश्रम में तैनात है क्या ये भी पता करना मुश्किल हो गया है? क्या पुलिस के पास कोई रिपोर्ट ही नहीं होगी कि आश्रम के पास 20 000 लोगों की कमांडो सेना है। कमांडो फोर्स का नाम भी ऐसा दिया गया है कि लोग चौंक जाए। फोर्स का नाम है आरएसएसएस यानी राष्ट्रीय समाज सेवा समिति। आखिर समाज सेवा समिति में कमांडो का क्या काम? रामपाल के पास आईटी सेल भी है। सवाल यह उठता है क्या खट्टर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाए? क्या इस वजह से सरकार सख्ती नहीं कर रही थी क्योंकि चुनाव से पहले बीजेपी ने रामपाल से समर्थन मांगा था। /p p style= text-align: justify हरियाणा में आर्यसमाज और रामपाल के सतलोक आश्रम के बीच टकराव होता रहा है। 2006 में रोहतक के करौंथा गांव में सतलोक आश्रम में गोलीकांड हुआ जिसमें एक आदमी मारा गया। रामपाल को भी आरोपी बनाया गया। 2006 से 2008 के बीच रामपाल जेल में रहा बाद में बेल पर बाहर आ गया। 2008 से 2010 के बीच सुनवाई में अदालत भी आते रहा लेकिन 2010 से 2014 के बीच पेश ही नहीं हुआ। चार साल की पेशी न हो आप समझ सकते हैं। तब कांग्रेस की सरकार थी अब बीजेपी की सरकार है। कुछ भी नहीं बदला है। रामपाल की ही सरकार लगती है। जब 42 बार पेश नहीं हुए तो वीडियो कांफ्रेंसिंग का तरीका निकाला गया। 14 जुलाई को वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई होनी थी लेकिन जब वकील पहुंचे तो समर्थकों ने उनके साथ मारपीट कर दी। हरियाणा बार एसोसिएशन ने अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने इस मामले में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया और पांच नवंबर की तारीख दी। पांच को नहीं आए तो दस की तारीख दी और दस को नहीं आए तो 17 नवम्बर की तारीख दी गई 17 को भी नहीं आए तो अब ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया है और 19 की रात उसे गिरफ्तार कर लिया गया। /p p style= text-align: justify अब टीवी बता रहा है कि आश्रम गोरखधंधों का अड्‌डा बना हुआ था। आश्रम में हथियार कैसे पहुंच जाते हैं? यह भी शोध का विषय है। ऐसे बाबा भारतीय लोकतंत्र का लाभ उठाते ही रहते हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो लोगों को कानून का कोई भय ही नहीं होगा। वे भी कानून तोड़ने से बाज नहीं आएंगे। सबसे पहले तो इन कथित बाबाओं की सम्पत्ति जब्त करनी चाहिए वहां पर स्कूल-कॉलेज खोल देने चाहिए। आश्रम के भीतर होने वाली गतिविधियों पर सरकार की कड़ी नजर होनी चाहिए। कई बार पुलिस की मिलीभगत से इस तरह के आश्रम फलते-फूलते हैं ऐसे हालात पनपने ही न दिए जाएं। नेताओं को भी ऐसे बाबाओं से दूर रहना चाहिए। वे इन्हें वोट की नजरों से न देखें। देश के सभी कथित और स्वयंभू बाबाओं की हरकतों पर कड़ी नजर रखी जाए और इनके आश्रमों में चलने वाले गोरखधंधों को बंद कर दिया जाए। भक्तों को भी ऐसे बाबाओं से दूर रहने की अपील सरकार अपने स्तर पर करे तभी हालात सुधर पाएंगे। /p