नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो के ऑपरेशन संकट ने केंद्र सरकार और DGCA को बैकफुट पर ला दिया है। बीते चार दिनों में 1200 से ज्यादा उड़ानें रद्द होने और हजारों यात्रियों की परेशानी बढ़ने के बाद DGCA ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लेते हुए एयरलाइंस, खासकर इंडिगो को 10 फरवरी 2026 तक अस्थायी राहत दे दी। DGCA ने वीकली रेस्ट से छुट्टी को अलग मानने वाला नियम वापस ले लिया। जिसे लागू किए जाने के बाद से इंडिगो में स्टाफ संकट पैदा हो गया था और एयरलाइंस कंपनी में फ्लाइट रद्द होने का संकट पैदा हुआ।

DGCA ने 1 नवंबर से फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के दूसरे चरण के नियम लागू किए थे। इन नियमों में पायलटों और क्रू को हफ्ते में 48 घंटे लगातार आराम देना अनिवार्य किया गया था। इसके अलावा छुट्टी को वीकली रेस्ट में जोड़ने की अनुमति भी खत्म कर दी गई थी। वहीं, पायलटों की लगातार नाइट शिफ्ट पर पाबंदी लगाई गई थी। यह बदलाव पायलट थकान कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया था।

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इन नियमों के लागू होने के बाद एयरलाइंस की ओर से कहा गया था कि नियमों की वजह से पायलटों की उपलब्धता कम हो गई और बड़े पैमाने पर फ्लाइट्स प्रभावित होने लगीं। इंडिगो ने दावा किया कि नए नियमों ने रोस्टर को असंतुलित कर दिया है और सिस्टम को सामान्य होने में समय लगेगा।

DGCA की ओर से इंडिगो को मिली अस्थायी राहत के बाद अब एयरलाइंस कंपनी पायलटों की छुट्टी और वीकली रेस्ट को फिर से एक साथ जोड़ सकेंगी। इसके अलावा रात में उड़ानों की सीमा भी पहले की तरह होगी जिससे पायलटों की उपलब्धता बढ़ेगी और फ्लाइट ऑपरेशन सामान्य हो सकेंगे। हालांकि, DGCA ने साफ किया कि सुरक्षा से समझौता नहीं होगा और सरप्राइज ऑडिट्स तथा रोस्टर की निगरानी बढ़ाई जाएगी।

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इंडिगो में स्टाफ संकट क्यों हुआ इसे समझने के लिए एक पायलट उदाहरण प्रस्तुत किया गया। यदि कोई पायलट चार दिन काम करने के बाद दो दिन छुट्टी लेता था तो नए नियमों के तहत उसे छुट्टी समाप्त होने के बाद भी 48 घंटे का अलग वीकली रेस्ट देना अनिवार्य था। यानी पायलट कई दिनों तक उड़ान ऑपरेशन में उपलब्ध नहीं रहता था। पुराने नियमों में छुट्टी और वीकली रेस्ट को जोड़कर काम लिया जा सकता था।

DGCA ने यह नियम इसलिए बदला था ताकि भारत के विमानन क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुरक्षा को बेहतर बनाया जा सके। पायलट संघ लंबे समय से शिकायत करता आया था कि पुराने नियम थकान बढ़ाते थे और हादसों का जोखिम बढ़ाते थे।

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इंडिगो पर इस नियम का सबसे ज्यादा असर इसलिए पड़ा क्योंकि कंपनी के पास सबसे बड़ा नेटवर्क है। 434 विमान, 2300 से ज्यादा उड़ानें प्रतिदिन और देश में संचालित घरेलू उड़ानों का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अकेले इंडिगो के पास है। ऐसे में 10–20 प्रतिशत उड़ानों के रद्द होने का मतलब होता है कि 200 से 400 फ्लाइट्स एक साथ प्रभावित होगा। बुधवार को अकेले इंडिगो की 200 से ज्यादा फ्लाइट्स बाधित हुई थीं। नवंबर में ही इंडिगो की 1232 उड़ानें रद्द हुईं और मंगलवार को 1400 उड़ानें देरी से चलीं थी। कंपनी के पास फिलहाल 5456 पायलट, 10,212 केबिन क्रू और कुल 41,000 से अधिक कर्मचारी हैं लेकिन नए FDTL नियमों ने उपलब्ध स्टाफ कम कर दिया था।

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