फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रहेगी। फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि 2020-21 में देश की अर्थव्यवस्था 4.5 प्रतिशत नीचे जाएगी। सर्वे में कहा गया है कि कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि से दुनियाभर में आर्थिक और स्वास्थ्य संकट पैदा हो गया है। फिक्की के ताजा सर्वे में वृद्धि दर के अनुमान में नीचे की ओर बड़ा संशोधन किया गया है। फिक्की ने जनवरी, 2020 के सर्वे में वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। हालांकि, अब पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है।  इससे पहले 11 जुलाई को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने भारतीय स्टेट बैंक के बैंकिंग एंड इकनॉमिक्स कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब सामान्य स्थिति की ओर लौटना शुरू हो गई है। हालांकि, मई में रिजर्व बैंक ने कहा था कि 2020-21 में देश की वृद्धि दर नकारात्मक दायरे में रहेगी। फिक्की ने आर्थिक परिदृश्य सर्वे जून में किया है। इसका ब्योरा जारी करते हुए संगठन ने कहा कि इसमें उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र से जुड़े प्रमुख अर्थशास्त्रियों के विचार लिए गए हैं।

सर्वे में कहा गया है कि 2020-21 में जीडीपी की औसत वृद्धि दर -4.5 प्रतिशत रहेगी। इसके न्यूनतम -6.4 प्रतिशत या बेहतर स्थिति में 1.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर औसतन शून्य से 14.2 प्रतिशत नीचे रहेगी। यह न्यूनतम -25 प्रतिशत तक नीचे जा सकता है। बेहतर स्थिति में भी यह -7.4 प्रतिशत रहेगी।

उद्योग मंडल ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों की बात की जाए, तो कृषि और संबद्ध क्षेत्र की सालाना वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत रहेगी। फिक्की ने कहा कि सिर्फ कृषि ही ऐसा क्षेत्र है जिसमें कुछ उम्मीद की किरण दिखाई देती है। मानसून की स्थिति ठीक है और देश में जलाश्यों का स्तर अच्छा है। सर्वे में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में उद्योग और सेवा क्षेत्रों में क्रमश: 11.4 प्रतिशत और 2.8 प्रतिशत की गिरावट आएगी। यह भी कहा गया है कि कमजोर मांग और क्षमता के कम इस्तेमाल से निवेश प्रभावित हो रहा है। कोविड-19 की वजह से अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने में और समय लगने वाला है।

फिक्की ने कहा कि टिकाऊ उपभोक्ता सामान और एफएमसीजी क्षेत्र में स्थिति सुधर रही है, लेकिन ज्यादातर कंपनियां अब भी काफी कम क्षमता पर परिचालन कर रही है। कंपनियों के लिए श्रम की उपलब्धता और मांग की कमी एक प्रमुख मुद्दा है।