नई दिल्ली। एचडीएफसी बैंक को संपत्ति के लिहाज से निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक बनाने का श्रेय रखने वाले बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी इस साल अक्टूबर में 70 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद रिटायर होने जा रहे हैं। इससे पहले पुरी ने अंतिम बार बैंक के सीईओ की हैसियत से हितधारकों को एक वार्षिक सभा में संबोधित किया। इस संबोधन में उन्होंने अपने सफर और वर्तमान में बैंक के सामने खड़ी चुनौतियों पर बात की। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को लेकर कहा कि वह बैंक का ही आंतरिक हिस्सा हैं और उसने बैंक में 25 साल बिताए हैं। पुरी एचडीएफसी बैंक की स्थापना के वक्त से उससे जुड़े हुए थे। 1994 से लेकर अबतक बैंक में लगातार उत्तरोत्तर तरक्की की, लेकिन जिस वक्त इकॉनमी अपने सबसे बुरे दौर में है, पुरी की सेवा समाप्त हो रही है।

अपने शुरुआती सफर के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, "हमने 25 साल पहले इस बैंक की शुरुआत की थी। उस समय हम एक मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे थे, जो एक दूसरे के साथ कोक साझा करते थे और बाटा के जूते पहनते थे।"

उन्होंने बताया कि शुरुआत से ही उनके भीतर एक विश्वस्तरीय भारतीय बैंक बनाने की ललक थी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में उनके पास पैसे नहीं थे। उन्होंने कमला मिल्स में बैंक का ऑफिस खोला था। जब सुबह टीम काम करने के लिए ऑफिस पहुंचती थी तो कंप्यूटर काम नहीं करते थे क्योंकि उनके तार चूहों ने कुतर दिए होते थे। लेकिन हम जैसे तैसे लगे रहे और आज हम यहां हैं। 

इस बीच बैंक के ऑटो फाइनेंसिंग विभाग में कुछ गड़बड़ियों की बात सामने आई थी, जिसके बाद इस विभाग के प्रमुख अशोक खन्ना मार्च में रिटायर हो गए थे। इस गड़बड़ी के दौरान हितों के टकराव का मामला सामने आया था। 

इस ओर चीजों को साफ करते हुए पुरी ने कहा कि खन्ना खुद इस पूरे मामले की जांच में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि ऑटो फाइनेंसिंग विभाग के कुछ कर्मचारी व्यक्तिगत दुर्व्यवहार में शामिल पाए गए थे, जिसके बाद उनके ऊपर अनुशासानात्मक कार्रवाई की गई। पुरी ने इसी तरह वरिष्ठ पदाधिकारियों के बैंक छोड़कर जाने की बातों को भी अफवाह बताया। 

कोरोना के कारण उभरे चुनौती भरे माहौल में व्यवसाय के नए स्वरूप को लेकर भी पुरी ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बाजार में मांग कम है और इसलिए आने वाले समय में आर्थिकी में नरमी आने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इस बारे में बैंक ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को कुछ सलाहें दी हैं, अब यह रिजर्व बैंक पर निर्भर है कि वो क्या करेगा।

पुरी ने बताया कि कोरोना के कारण चारों तरफ निराशा का माहौल है लेकिन इस माहौल में भी ना तो एचडीएफसी बैंक और ना ही इसके सहायक एचडीएफसी फाइनेंस ने स्टाफ की छंटनी की। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहली तिमाही में ऋण लेने वालों के एक हिस्से ने अपनी ईएमआई स्थगित कर दी हैं।