आगर मालवा। एक तो कोरोना महामारी का संकट उपर से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी नहीं होने से किसानों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। मामला जिले के सुसनेर का है, जहां की दो प्राथमिक सहकारी संस्थाओं ने किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीदी से इनकार कर दिया है। यहां के प्रबंधकों ने बढ़ते कोरोना संक्रमण का हवाला देकर किसानों से गेहूं नहीं खरीदने का फैसला लिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्राथमिक सहकारी संस्था के दो केंद्रों के प्रबंधकों ने अपने उच्च अधिकारियों को इस बारे में लिखित जानकारी भी दे दी है। उन्होंने पत्र लिखकर 19 अप्रैल से खरीदी करने से इनकार कर दिया है। ऐन वक्त में खरीदी नहीं होने से इन गेहूं खरीदी केंद्रों में पहले से रजिस्ट्रेशन करवा चुके किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। अब गरीब किसानों के सामने अपनी खून पसीने की कमाई बेचने का संकट खड़ा हो गया है।

इन दोनों खरीदी केंद्रों की देखादेखी अन्य सोसाइटीज भी गेहूं खरीदी बंद करने की तैयारी में हैं। दरअसल प्रदेश के अन्य हिस्सों की ही तरह यहां भी 27 मार्च से ही समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का काम शुरू हुआ था। लेकिन कोरोना के बढ़ती रफ्तार और संक्रमितों की मौत की वजह से लोगों में दहशत है।  यही वजह है कि खरीदी केंद्रों में गेहूं खरीदी बंद कर दी गई है। अब तक आगर मालवा के सभी उपार्जन केंद्रों पर गेहूं खरीदी जारी थी। दर असल खरीदी केंद्रों पर भीड़ के कारण कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं हो पाता है। जिसके कारण कई केंद्रों पर कर्मचारी संक्रमित हो चुके हैं।

जिसके कारण अब किसानों से खरीदी बंद की जा रही है। जिससे किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। कई किसान जानकारी के अभाव में ट्रैक्टरों में गेहूं लेकर खरीदी केंद्रों तक पहुंच गए हैं। उनका अनाज खुले में पड़ा है, वहीं टैक्टर का भाड़ा भी देना पड़ रहा है। अनाज की खरीदी नहीं होने से किसानों में रोष है।

दरअसल मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या 4 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इस महीने अब तक 1 लाख संक्रमित मिल चुके हैं। जिसके तहत मुख्यमंत्री ने लोगों से ज्यादा सतर्कता बरतने की सलाह दी है। मुख्यमंत्री ने अपील की है कि 30 अप्रैल तक कोई भी बेवजह घर से बाहर नहीं निकले। उन्होंने कहा है कि गांव, मोहल्लों, बिल्डिंग्स, कॉलोनियों में लोग जनता कर्फ्यू लगाएं।