भोपाल। मध्य प्रदेश के बदनावर कृषि उपज मंडी में गुरुवार को सोयाबीन की बंपर आवक हुई। मंडी परिसर वाहनों से खचाखच भर गया और लेबड़-नयागांव फोरलेन पर करीब 6 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। दोपहर में जब सोयाबीन की नीलामी शुरू हुई तो किसानों ने कम भाव मिलने पर नाराजगी जताई। 

दाम कम मिलने से आक्रोश किसानों ने नीलामी रोक दी और मंडी का गेट बंद कर बाहर धरना दे दिया। किसानों ने मॉडल रेट पर खरीद सहित अन्य मांगों को लेकर नारेबाजी की। सूचना मिलते ही तहसीलदार सुरेश नागर और मंडी सचिव मदनसिंह अखाड़े मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने किसानों से चर्चा कर स्थिति को शांत किया। 

आम किसान यूनियन से जुड़े राम इनानिया ने कहा कि सोयाबीन का MSP 5328 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि व्यापारी महज 3500 रुपए क्विंटल की भाव से खरीद रहें है। ऐसे में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने भावातंर योजना को लेकर कहा कि सरकार भी 800 रुपए प्रति क्विंटल ही दे रही है। मतलब किसानों को प्रति क्विंटल सोयाबीन पर 1028 रुपए का घाटा हो रहा है। इसलिए बदनावर से लेकर धार, पानसेमल, पिपरिया, इंदौर, उज्जैन, विदिशा व अन्य जिले में किसान प्रदर्शन करने को मजबूर हो रहे हैं।

वहीं, किसान नेता केदार सिरोही ने कहा कि भावांतर एक तरीके से सरकार की हठधर्मिता की नीति है। यह योजना साल 2017 में फेल हो चुकी है। इसके बावजूद सीएम मोहन यादव और कृषि मंत्री शिवराज की आपसी लड़ाई में यह किसानों पर थोपी जा रही है। जबकि खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता के लिए केंद्र सरकार ऑयल सीड MSP पर खरीदने के लिए तैयार है। दूसरे राज्यों को छूट भी है। लेकिन एमपी में किसानों को MSP नहीं मिल रही। यह दोनों नेताओं की आपसी लड़ाई का परिणाम है कि किसानों को नुकसान हो रहा और उनके उद्योगपति मित्र लूट रहे हैं।

उधर, धार में भी गुरुवार दोपहर किसानों ने छत्री चौराहे पर चक्काजाम कर दिया। सोयाबीन की कम कीमतों और कृषि उपज मंडी में लंबी प्रतीक्षा से नाराज किसानों ने सड़क पर उतरकर विरोध जताया। दीपावली के बाद से मंडी में सोयाबीन की भारी आवक हो रही है, लेकिन किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए 12-12 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि सुबह 6 बजे से लाइन में लगने के बावजूद शाम तक ट्रॉली को मंडी में प्रवेश नहीं मिल पाता। मजबूरन उन्हें अपनी गाड़ियां रातभर मंडी परिसर में खड़ी रखनी पड़ती हैं और अगले दिन नीलामी में माल बेच पाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में दो दिन तक का समय लग रहा है, जिससे किसान बेहद नाराज हैं। मंडी परिसर में किसानों ने भावांतर योजना से जुड़े फ्लैक्स बैनर फाड़ दिए, जिन पर राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की तस्वीरें लगी थीं। कुछ किसानों ने इन्हें जलाने की कोशिश भी की।