रतलाम। मध्य प्रदेश में प्याज के किसानों का भी वही हाल है जो लहसुन के किसानों का है। व्यापारी प्याज का रेट भी नहीं चढ़ने दे रहे हैं। रतलाम कृषि उपज मंडी में प्याज का भाव 1 रूपए किलो तक चला गया है। किसानों को इससे लागत तो दूर लाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है। किसानों की बेबसी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे मंडी में प्याज फेंककर चले जा रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक रतलाम कृषि उपज मंडी में बीते एक सप्ताह से प्रतिदिन 200 से ज्यादा ट्रॉली नई प्याज आ रहा है। ऐसे में किसानों को हल्की और मध्यम गुणवत्ता वाले प्याज का कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा है। प्याज का न्यूनतम रेट 100 रुपए प्रति क्विंटल तक लगाया जा रहा है। जबकि खुले बाजारों में आज भी प्याज 30 से 45 रुपए प्रति किलो तक बिक रहे हैं।

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मंडी में प्याज लेकर पहुंच रहे किसान अपनी उपज को औने-पौने दाम पर ही बेच कर जाने को मजबूर हैं। वहीं, दो-तीन दिनों तक उपज नहीं बिकने पर कई किसान मंडी में ही प्याज छोड़कर वापस लौट जा रहे हैं। व्यापारी मौसम खराब होने का भी भरपूर फायदा उठा रहे हैं। चूंकि, किसानों को बारिश की आशंका से खुले में पड़ा प्याज खराब होने की चिंता सता रही है इसलिए वे जल्दीबाजी में किसी भी रेट पर उपज बेच दे रहे हैं। 

विक्रमगढ़ आलोट से रतलाम कृषि उपज मंडी में प्याज की फसल लेकर आए किसान श्याम सिंह के मुताबिक 100 किलोमीटर दूर से ट्रैक्टर ट्रॉली का भाड़ा लगाकर मंगलवार रात में रतलाम मंडी में फसल बेचने आए थे। गुरुवार को नीलामी में उनकी उपज 320 प्रति क्विंटल ही बिकी है। इससे उनका ट्रैक्टर ट्रॉली का भाड़ा और मजदूरी भी नहीं निकल पाएगा। बरबोदना के कई किसान अपनी फसल नहीं बिकने पर पशुओं को खिलाने के लिए प्याज की ट्रॉली वापस लेकर चले गए।

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बताया जा रहा है कि व्यापारी जानबूझकर प्याज का रेट नहीं चढ़ने दे रहे हैं ताकि किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर वे मुनाफा कमा सकें। ऐसा नहीं है कि आम लोगों को भी प्याज सस्ता मिल रहा है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्याज 30 रुपए प्रति किलो वहीं जबलपुर में खुदरा रेट 45 रुपए किलो तक है। लेकिन जब व्यापारियों द्वारा किसानों से प्याज खरीदने की बात आती है तो उन्हें 1 से 5 रुपए किलो का ही दर दे रहे हैं।