देश विदेश में लाखों लोग अपने बढ़ते वजन को लेकर परेशान रहते हैं, इसके लिए कई तरह के जतन करते हैं। कड़ी डाइटिंग, जिम में वर्कआउट, गोलियों का सेवन, कई तरह के फैट और कैलोरी बर्नर का यूज करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में जल्दी पतला होने और स्लिम-फिट बॉडी पाने के लिए लोग स्लीव गेस्ट्रेक्टॉमी नाम की एक कॉमन बैरिएट्रिक सर्जरी करवा रहे हैं।

बैरियाट्रिक सर्जरी में मोटे व्यक्ति के शरीर में मौजूद एक्सट्रा फैट को सर्जिकल तरीके से हटाकर पेट का आकार छोटा कर दिया जता है। जिसके बाद वह इंसान धीरे-धीरे स्लिम होता जाता है। इस सर्जरी के बाद इंसान के पेट का आकार छोटा होने के कारण वह ज्यादा खा नहीं सकता इस वजह से उसके शरीर का फैट बर्न होता जाता है, और वह लगातार स्लिम होता जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वज़न घटाने का यह उपाय आगे चलकर परेशानी का सबब बन सकता है।

साइंस डेली में छपी रिपोर्ट्स के अनुसार एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि तेजी से वजन घटाने के लिए होने वाली इस सर्जरी का असर इंसान की हड्डियों पर पड़ा है। शरीर में न्यूट्रीशन की कमी की वजह से हड्डियां कमज़ोर होती जाती हैं। अमेरिका में हुए शोध में पाया गया है कि टीन एजर्स में स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी से वेट लास के केस साल 2005 से 2014 के बीच 100 गुना बढ़े हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बॉस्टन के हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल की रेडियोलॉजी विभाग की प्रोफेसर मिरियम ए. ब्रेडैला ने माना है कि वेट लॉस के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी से हड्डियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोध के दौरान ओबेसिटी से परेशान 52 टीनएजर्स का बॉडी चेकअप किया गया। इन लोगों में 26 स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी करवा चुके थे। शोध के दौरान करीब एक साल तक इन टीन एजर्स की सेहत पर नजर रखी गई। रिसर्च में पाया गया कि टीन एजर्स का 13 से 28 किलो तक वजन कम हुआ है। वहीं इनकी हड्डियों में 'मैरो फैट' ज्यादा मिला और रीढ़ की हड्डी में बोन डेंसिटी यानी हड्डियों की मज़बूती कम हो गई। 

टीनएज में सेहत की अनदेखी से हो सकती है परेशानी

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी के बाद हड्डियों में लॉस ऑफ बोन डेंसिटी की आशंका रहती है। लॉस ऑफ बोन डेंसिटी के अलावा इंसान के हार्मोन और शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों पर भी इसका बुरा असर होता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वेट लॉस के लिए ऐसे उपाय को तलाशने की आवश्यकता है जो इन टीनएज में ओबेसिटी के साथ-साथ इनकी बोन्स के लिए भी सुरक्षित हो। बोन्स और मसल्स के विकास के लिए किशोरावस्था जीवन का बेहद महत्वपूर्ण दौर होता है। इस दौरान उन्हें अपनी सेहत के साथ किसी तरह का गलत प्रयोग नहीं करना चाहिए। नहीं तो भविष्य में उम्र बढ़ने के साथ कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। टीनएज में सेहत के साथ कोई भी गलत प्रयोग भविष्य में भयंकर नुकसान की वजह बन सकता है।

बैरियाट्रिक सर्जरी क्या है

मोटापे से छुटकारा पाने के लिए लोग बैरियाट्रिक सर्जरी का सहारा ले रहे हैं। यह वेट लॉस सर्जरी है,  बैरियाट्रिक सर्जरी से मोटापा कम किया जा सकता है। इसमें पेट का 75-80 फीसदी हिस्सा अलग कर दिया जाता है। यह सर्जरी तीन तरह की होती है। गैस्ट्रिक स्लीव सर्जरी बहुत ज्यादा मोटे लोगों पर की जाती है। जो मोटापे से ज्यादा पीड़ित होते हैं। यह सर्जरी लैपरोस्कोपी की सहायता से होती है। इस सर्जरी में पेट का आकार कम कर दिया जाता है।

गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी यह वेट लॉस सर्जरी है। इसमें पेट के ऊपरी हिस्से को बांध दिया जाता है। जबकि पेट के निचले हिस्से को छोटी आंत से जोड़ा जाता है। जिससे मरीज का खाना पेट से सीधे छोटी आंत में पहुंच जाए। वहीं एडजस्टेबल गैस्टिक बैंड सर्जरी भी पॉपुलर है, इसमें पेट के ऊपरी भाग में इलास्टिक बैंड लगाकर और उसकी सहायता से पेट पर मौजूद एक्सट्रा फैट को निकाल दिया जाता है। बैरियाट्रिक सर्जरी के बाद लोगों को अपनी डाइट का खास ख्याल रखना चाहिए। जिससे उसे पूरा न्यूट्रीशन मिल सके। डाक्टर से मिले डाइट प्लान का सख्ती से पालन करना चाहिए। बैरियाट्रिक सर्जरी के बाद हल्की एक्सरसाइज करना चाहिए।