कोरोना महामारी से निपटने के लिए उसकी वैक्सीन लगवाना ज़रूरी है। लेकिन कोरोना वैक्सीन लगवाने के कई साइड इफेक्ट्स भी सामने आए हैं। इन साइड इफेक्ट्स के बारे में जानना भी ज़रूरी है, ताकि ये फैसला किया जा सके कि किन लोगों को वैक्सीन लगवाते समय ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है। कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं जिन्हें फिलहाल इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूर की गई वैक्सीन नहीं लगाने की सलाह दी जा सकती है। मौजूदा दौर में यह इसलिए भी ज़्यादा ज़रूरी है क्योंकि अब तक जिन वैक्सीन को लगाने की शुरुआत की गई है वे सभी काफी कम वक्त में बनाई गई हैं और उन्हें सिर्फ इमरजेंसी अप्रूवल ही मिला है। 

यही वजह है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां और डॉक्टर्स लोगों को चेतावनी भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि किसी इंसान को वैक्सीन देने से पहले ये समझ लेना ज़रूरी है कि उसे साइड इफेक्ट्स का ख़तरा कितना और किस हद तक हो सकता है। 

फिलहाल जितनी कोरोना वैक्सीन्स को अप्रूवल मिला है, वे सभी कोरोना वायरस को बेअसर करने और इम्यूनिटी स्ट्रांग करने में सफल पाई गई हैं, लेकिन इनके कई साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले हैं। वैक्सीनेशन के बाद लोगों को ठंड लगकर बुखार आने या एलर्जी होने जैसी शिकायतें सामने आई है।

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इंग्लैंड के दो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को वैक्सीन लगने के बाद ऐनफलैक्सिस विकसित हो गया, यह एक गंभीर एलर्जिक रिएक्शन है। एक अन्य वालेंटियर की हार्ट बीट काफी बढ़ गई। फिलाहल वैज्ञानिक यह पता लगाने में जुटे हैं कि वैक्सीन के फॉर्मूले के किस तत्व से एलर्जी की समस्या हो रही है।

मॉडर्ना की वैक्सीन लगने के बाद एक वॉलंटियर को 102 डिग्री बुखार हो गया। इस बारे में डाक्टरों का तर्क है कि कई बार शरीर एंटीबॉडी बनाता है तो हल्का या तेज बुखार होने की संभावना होती है। वहीं गैस्ट्रोइंटसटाइनल सिस्टम पर असर पड़ने से कुछ वॉलंटियर्स को उल्टी, जी मिचलाने, घबराहट और पेट में ऐंठन जैसी शिकायतें भी हुई हैं।

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इसी कड़ी में फाइज़र-बायोएनटेक की दो डोज वाली वैक्सीन देने के बाद कई वालेंटियर्स को सिर दर्द, थकान, तेज बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन और दर्द जैसे साइड-इफेक्ट्स देखने को मिले। विशेषज्ञों का मानना है कि 50-60 फीसदी मरीज वैक्सिनेशन के बाद इस तरह की परेशानियों से दो चार होते हैं।फाइजर की वैक्सीन लेने के बाद कुछ लोगों में माइग्रेन की शिकायत भी देखने को मिली।

कोरोना महामारी फैलते ही दुनिया भर के बहुत से वैज्ञानिक इस जानलेवा वायरस का ख़त्मा करने की तैयारी में लग गए। कोरोना वैक्सीन जल्द से जल्द विकसित करने की कोशिशें की गईं। कई कंपनियां इसमें सफल भी हो गई हैं। उनकी दवाओं का ट्रायल भी सफल रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जैसे-जैसे वैक्सीन्स का इस्तेमाल होगा और उनके साइड इफेक्ट्स के बारे में और जानकारियां मिलेंगी, उन्हें दूर करने या कम से कम करने का उपाय भी खोज लिया जाएगा।