वॉशिंगटन। भारत और कनाडा के बीच बिगड़ते रिश्तों के बाद भारत सरकार ने कनाडा के राजनयिकों को देश छोड़ने के आदेश जारी किया था। इसके बाद कनाडा ने अपने सभी 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया। जस्टिन ट्रुडो ने इसकी पुष्टि करते हुए इस फैसले को भारतीय नागरिकों के लिए नुकसान देने वाला बताया है। अब इस विवाद में अमेरिका और ब्रिटेन की एंट्री हो गई है।

अमेरिका और ब्रिटेन ने कनाडा के समर्थन में अपनी प्रतिक्रिया दी है। संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने
ओटावा द्वारा 41 राजनयिकों को बाहर निकालने पर चिंता व्यक्त की। साथ ही भारत से आग्रह किया कि वह कनाडा पर भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने पर जोर न दे। अमेरिका ने इस बात पर जो दिया कि दोनों देशों के बीच उपजे विवाद को सुलझाने के लिए राजनयिकों की आवश्यकता है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा की हमने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह कनाडा की राजनयिक उपस्थिति में कटौती पर जोर न दे और कनाडा में चल रही जांच में सहयोग करे। हम उम्मीद करते हैं कि भारत राजनयिक संबंधों पर 1961 वियना कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों को बरकरार रखेगा, जिसमें कनाडा के राजनयिक मिशन के मान्यता प्राप्त सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों के संबंध में भी शामिल है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने कनाडा के आरोपों को गंभीरता से लिया है और लंदन के साथ-साथ भारत से हत्या की जांच में कनाडा के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है। ब्रिटेन के विदेश कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से सहमत नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई कनाडाई राजनयिकों को भारत छोड़ना पड़ा।" ब्रिटेन ने इसे वियना कन्वेंशन के सिद्धांतों का उल्लंघन भी बताया है।

बता दें कि कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा पीएम जस्टिन ट्रुडो ने भारत पर हत्या कराने का आरोप लगाया था। हालांकि, भारत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया जिसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद खड़ा हो गया। इसके बाद भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया है।