वॉशिंगटन। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले 50 साल पुराने फ़ैसले को पलट दिया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की दुनियाभर में चर्चा हो रही है, वहीं इस फैसले पर अब अमेरिकी में भी सियासत तेज हो गई है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की निंदा की। उन्होंने इसे लाखों अमेरिकियों द्वारा अनुभव की गई आवश्यक स्वतंत्रता पर हमला कहा। 



बराक ओबामा ने ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने न केवल लगभग 50 साल की मिसाल को उलट दिया, बल्कि राजनेताओं और विचारकों की सनक के लिए सबसे गहन व्यक्तिगत निर्णय को खारिज कर दिया। लाखों नागरिकों की आवश्यक स्वतंत्रता पर हमला किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अमेरिका का संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है। इसलिए हमारी तरफ से रो वी वेड केस को खारिज कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने नियम-कानून बना सकते हैं।



अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी गर्भपात के लिए संवैधानिक सुरक्ष खत्म किए जाने पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि हमें देश के कानून के रूप में रो की सुरक्षा बहाल करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा कि गर्भपात को लेकर लिए गए फैसले से गर्भनिरोधक, समलैंगिक विवाह के अधिकार कमजोर हो सकते हैं जो कि बेहद ही खतरनाक रास्ता है। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी क्षमता के मुताबिक कार्य करने का संकल्प जताया।





उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि अमेरिका की जनता से संवैधानिक अधिकार छीन लिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका में लाखों महिलाएं प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच के बिना आज रात बिस्तर पर जाएंगी। यह एक हेल्थ केयर संकट है। कमला हैरिस ने अमेरिकियों से गर्भपात के अधिकारों के रक्षा में एक साथ खड़े होने का आह्वान किया।





अमेरिका में गर्भपात एक संवेदनशील मुद्दा है. महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया जाए या नहीं इसमें धार्मिक कारक भी शामिल हैं। यह रिपब्लिकन्स (कंजरवेटिव) और डेमोक्रेट्स (लिबरल्स) के बीच विवाद का मुद्दा रहा है। यह विवाद 1973 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था, जिसे रो बनाम वेड के मुकदमें के नाम से भी जाना जाता है।