तीन यूरोपीय देशों जर्मनी, फ्रांस और यूके ने कहा है कि ईरान पर दोबारा से प्रतिबंध लगाने का अधिकार रखने का अमेरिकी दावा कानूनी रूप से अप्रभावी है। ईरान को लेकर अब अमेरिका और उसके सहयोगी यूरोपीय देशों के बीच खटास बढ़ गई है। आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका अब जर्मनी, फ्रांस और यूके पर प्रतिबंध लगा सकता है। नियमों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित प्रतिबंध ही लागू किए जा सकते हैं।
इसी बात को रेखांकित करते हुए तीनों यूरोपीय देशों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित प्रतिबंधों के अलावा अमेरिका के अपने अलग प्रतिबंध किसी भी तरह से जायज नहीं हैं।
इससे पहले 19 सितंबर को एक बयान जारी करते हुए अमेरिका ने कहा कि उसके पास संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का अधिकार है। अमेरिका ने दावा किया कि यह अधिकार उसे 2015 की परमाणु संधि में मुख्य हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते प्राप्त है।
Click: Thailand Protests थाईलैंड में राजशाही के खिलाफ चरम पर पहुंचा विरोध, छात्रों ने संभाली कमान
वहीं यूरोपीय देशों का कहना है कि 2015 की परमाणु संधि पर उन्होंने भी हस्ताक्षर किए थे और 2018 में मनमाने अमेरिका मनमाने तरीके से संधि से पीछे हट गया था। यूरोपीय देशों ने कहा कि इस आधार पर अमेरिका के पास ईरान पर प्रतिबंध लगाने का कोई अधिकार नहीं है।
इस साल अक्टूबर में ईरान पर लगे हथियार प्रतिबंध भी हट जाएंगे। अमेरिका ने इन्हें फिर से लगाने का दावा किया है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका ईरान की शिपिंग पर भी रोक लगा सकता है। ऐसे में खाड़ी इलाकों में सैन्य टकराव की आशंका बढ़ जाएगी।
Click: Iran Presidential Election जून में ईरान राष्ट्रपति चुनाव, अमेरिका विरोधी माहौल की भूमिका अहम्
दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि कोई भी देश उसके नाम पर किसी और देश पर प्रतिबंद लागू नहीं कर सकता। ईरान भी कह रहा है कि उसने 2015 की परमाणु संधि का कोई उल्लंघन नहीं किया है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगाने का अमेरिकी प्रस्ताव औंधे मुंह गिर गया था।