Iran Presidential Election: जून में ईरान राष्ट्रपति चुनाव, अमेरिका विरोधी माहौल की भूमिका अहम्

वर्तमान राष्ट्रपति Hassan Rouhani के दो कार्यकाल पूरे, न्यूक्लियर डील की समाप्ति, अमेरिकी आक्रामकता और खराब आर्थिक हालात के बीच होंगे चुनाव

Updated: Aug 25, 2020, 11:38 PM IST

Photo Coutesy: Swaraj Express
Photo Coutesy: Swaraj Express

ईरान में आगामी राष्ट्रपति चुनाव अगले साल 18 जून को होंगे। देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था द गार्जियन काउंसिल ने यह घोषणा की है। देश के वर्तमान राष्ट्रपति हसन रूहानी चार-चार वर्ष के अपने दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं और अब अगले चुनाव में उनके उत्तराधिकारी का चयन किया जाएगा। यह पूरी जानकारी देश की सरकारी न्यूज एजेंसी इरना ने दी है। ईरान में यह चुनाव ऐसे समय में होगा जब अमेरिका के साथ देश के संबंध बहुत बिगड़ चुके हैं और अमेरिका लागातरा ईरान पर अनिश्चित समय तक हथियार प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रहा है।

न्यूज एजेंसी ने बाताया कि जो उम्मीदवार इस चुनाव में भाग लेना चाहते हैं उन्हें अप्रैल में नामांकन करना होगा और जून में उम्मीदवारों की अंतिम लिस्ट जारी की जाएगी। ईरान के नियमों के अनुसार सत्ता में बैठा हुआ राष्ट्रपति तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ सकता है अगर वह पहले ही लगातार दो बार इस पद पर रह चुका है। हसन रूहानी पहली बार 2013 में इस पद पर चुने गए थे।

क्या होंगे चुनाव का मुद्दे

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि अमेरिका लगातार ईरान पर दवाब बना रहा है। अमेरिका पहले ही 2015 में न्यूक्लियर डील को तोड़ चुका है और अब ‘स्नैप बैक’ की भी मंशा जता रहा है। वह ईरान पर लगे प्रतिबंधों को अनिश्चिकाल तक बढ़ाना चाहता है। ऐसे में ईरानी राष्ट्रपति चुनाव का मुख्य मुद्दा यही हो सकता है कि कौन नेता अमेरिका की आक्रामकता के खिलाफ मजबूती से खड़ा हो सकता है।

इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर कासिन सुलेमानी को आतंकी बताकर एयर स्ट्राइक में मार दिया था। ईरान ने इसका बदला लेने की बात कहते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट निकाला हुआ है। उसने गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की भी मदद मांगी है।

Clickईरान पर दोबारा प्रतिबंध की मांग कर सकता है अमेरिका

हालांकि, इस साल नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और अगर वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप चुनाव हारते हैं तो अमेरिका के इस रुख में बदलाव भी आ सकता है। लेकिन ट्रंप के प्रतिद्वंदी जो बाइडेन ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि ईरान को लेकर वे किस नीति पर चलेंगे। डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ही ईरान और अमेरिका के बीच परमाण करार किया था।

इसके अलावा ईरान की आर्थिक हालात भी खराब है। लाखों लोगों की नौकरी चली गई है। पिछले साल इसे लेकर ईरान में बड़े स्तर के विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। कोरोना वायरस महामारी ने स्थिति को और खराब ही किया है। यह मुद्दा भी चुनावों के केंद्र में होगा।