कोरोना काल में एक महीने में तीन ग्रहण पड़ने वाले हैं। 5 जून और 5 जुलाई को उपच्छाया चंद्रग्रहण लगने वाला है, वहीं 21 जून को सूर्य ग्रहण होगा। एक महीने में तीन ग्रहण पड़ने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। ज्योतिषियों की मानें तो ये चंद्रग्रहण कोरी कल्पना है। 5 जून और 5 जुलाई को कोई चंद्रग्रहण नहीं पड़ रहा है। ये छाया की छाया याने प्रति छाया है। इसे ज्योतिष सिद्धांत ग्रहण नहीं मानते। इसलिए पंचाग में कहीं भी इनका विवरण नहीं है। यह एक खगोलीय घटना तो है लेकिन इसे ग्रहण कहना उचित नहीं है। वहीं 21 जून को सबसे लंबी अवधि का सूर्य ग्रहण होगा। वहीं चंद्रग्रहण के बारे में रीजनल साइंस सेंटर के जानकारों का कहना है कि चंद्रमा की शेडो की शेडो पड़ने की यह घटना आंखों से भी देखी जा सकती है।

5 जून और 5 जुलाई को नहीं है कोई चंद्रग्रहण 
जानेमाने ज्योतिषी पंडित विनोद गौतम का कहना है कि 5 जून और 5 जुलाई को पृथ्वी की छाया की छाया चंद्रमा पर पड़ रही है। जिसे चंद्रग्रहण की संज्ञा नहीं दी जा सकती। इसका धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उपछाया चंद्रग्रहण होने पर किसी भी तरह के उपाय करने की आवश्यकता नहीं होती है। ना ही किसी प्रकार का सूतक लगता है।5 जून को चंद्रमा का कोई भी हिस्सा ग्रस्त नहीं होगा और पृथ्वी की कोई छाया चंद्रमा पर नहीं पड़ेगी। इसलिए चंद्रग्रहण होने का तो सवाल ही नहीं उठता। वहीं जानेमाने ज्योतिषी प्रहलाद पंडया ने भी 5 जून और 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण होने की बात से इनकार किया है। 
 

खुली आंखों से दिखेगी खगोलीय घटना
वहीं रीजनल साइंस सेंटर भोपाल के एजुकेशन ऑफीसर एनबी साहू का कहना है कि यह टोटल लूनर इक्लिप्स नहीं है। उन्होंने बताया कि एक छाया के दो भाग होते हैं, एक वस्तु की छाया दूसरे पर किसी आब्जेक्ट पर पड़ती है तो ऐसा प्रतीत होता है कि छाया पड़ रही है। 5 जून को होने वाली इस आकाशीय घटना को देखने के लिए किसी भी तरह के बायनाकुलर की जरूरत नहीं होगी। इस दौरान सामान्य चांद और ग्रहण वाले चांद के बीच अंतर करना मुश्किल होगा। इसे घटना को पूरे भारत में देखा जा सकेगा। लेकिन इस खगोलीय घटना के दौरान चांद के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। यह अपने पूरे स्वरूप में आकाश में चलत हुआ नजर आएगा। इस दौरान चंद्रमा की छवि मलिन हो जाएगी। यानी चांद कुछ मटमैला सा दिखेगा। आपको बता दें कि 5 जून को 3 घंटे और 18 मिनट तक यह खगोलीय घटना देखी जा सकती है। रात 11.15 बजे से शुरू होगा औऱ 6 जून सुबह 2.34 पर खत्म होगा। इससे पहले 10 जनवरी को ऐसा ही चंद्रग्रहण लगा था। 

21 जून को होगा सबसे लंबा सूर्य ग्रहण 
पंडित विनोद गौतम ने बताया कि 21 जून को अमावस्या के दिन खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा। सबसे लंबी अवधी का सूर्य ग्रहण करीब 3 घंटा 15 मिनट 3 सेकंड का रहेगा। रविवार 21 जून को सुबह 10 बजकर 15 मिनट से सूर्य ग्रहण शुरु होगा, और 1.47 मिनट पर इसका मोक्ष होगा । उत्तर भारत के चमोली, केदानाथ बद्रीनाथ में कंकड़ाकृति याने अंगूठी के आकार का सूर्य दिखेगा। वहीं बाकी स्थानों पर यह खंडग्रास सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। साल 2020 में भारत में दिखाई देने वाला एक मात्र सूर्य ग्रहण होगा। इस ग्रहण का परमग्रास 99.4 प्रतिशत रहेगा।

कुछ जगहों पर सूरज पूरी तरह छुप जाएगा। अंधेरा हो जाएगा। इस ग्रहण का प्रभाव भारत, दक्षिण पूर्वी यूरोप, अफ्रीका, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, वर्मा पर दिखाई देगा। इस ग्रहण के कारण भारत का पड़ोसी देशों से संबंध प्रभावित हो सकते हैं । वर्तमान में शुक्र वक्री होकर अस्त हो गया है, शनि, गुरु, राहु, केतू भी वक्री हैं जिससे युद्ध जैसे हालात तो बनेंगे, लेकिन युद्ध नहीं होगा, महंगाई बढ़ेगी। इस सूर्य ग्रहण से औषधि निर्माण में सफलता मिलेगी। कोरोना के दवाई बनाने में सफलता मिल सकती है।