महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी दफ्तरों में मराठी भाषा को अनिवार्य करने की तरफ कदम उठाते हुए अधिकारियों और कर्मचारियों से सरकारी कामकाज के लिए मराठी भाषा का प्रयोग करने के लिए कहा है। इस संबंध में एक सर्कुलर जारी करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि जो भी अधिकारी और कर्मचारी ऐसा नहीं करेगा, उसकी इस साल की वेतन वृद्धि रोक दी जाएगी। यह सर्कुलर राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया है। यह विभाग अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास है।

विभाग की तरफ से जारी सर्कुलर में लिखा है, “ सभी सरकारी दफ्तरों, मंत्रालयों और निकाय एवं डिविजनल कार्यालयों में आधिकारिक कामकाज के लिए लिखे जाने वाले पत्रों में मराठी भाषा का इस्तेमाल करना होगा। ऐसा ना करने पर कर्मचारियों को चेतावनी दी जाएगी या फिर उसकी गोपनीय रिपोर्ट में इस बात को लिख दिया जाएगा और एक साल के लिए कर्मचारी की वेतन वृद्धि रोक दी जाएगी।”

इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने फरवरी में प्रदेश के हर स्कूल में दसवीं तक मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य कर दिया था। ऐसा ना करने वाले स्कूलों पर एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान भी किया गया था।

शिवसेना हमेशा से ही मराठी अस्मिता को लेकर आक्रामक रही है। पार्टी से जुड़े समूहों और कार्यकर्ताओं ने कई बार मुंबई में काम करने गए उत्तर और दक्षिण भारतीय लोगों से बदसलूकी की है। वहीं पार्टी शुरू से ही सरकारी कामकाज में मराठी भाषा के प्रयोग का मुद्दा उठाती रही है।