नई दिल्ली। अफ़ग़ानिस्तान में हर गुज़रते पल के साथ हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं। तालिबान के कहर के सामने अफ़ग़ानी सेना बुरी तरह से पस्त दिख रही है। तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की एक और प्रांतीय राजधानी गज़नी पर अपना कब्ज़ा जमा लिया है। गज़नी तालिबान के कब्ज़े में आई दसवीं प्रांतीय राजधानी है।  

तालिबान में हालात कितने खराब हैं इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तालिबान अब अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल से महज़ 96 मील यानी 150 किलोमीटर की दूरी पर खड़ा है। गज़नी में सरकार के तमाम महत्वपूर्ण ठिकानों पर तालिबान ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है। सेना के स्थानीय हेडक्वार्टर और पुलिस के मुख्यालय पर भी तालिबान का कब्ज़ा हो चुका है। इसके साथ ही तालिबान ने पूर्व अफ़ग़ानी राष्ट्रपति राशिद दोस्तम के बेटे को अगवा कर लिया है। वहीं भारत के एक चॉपर पर भी तालिबानी आतंकियों ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है।  

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काबुल अब चारों तरफ से तालिबान के लड़ाकों घिर चुका है, जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी वॉरलॉर्ड्स की शरण में गए हैं। अशरफ ग़नी ने तालिबान से लड़ने के लिए वॉरलॉर्ड्स से मदद मांगी है। वॉरलॉर्ड्स ऐसे अफ़ग़ान सैनिक हैं जिन्हें अमेरिका ने तालिबान के लड़ाकों से लड़ने के लिए ट्रेनिंग दी है। वहीं तालिबानी खतरे को देखते हुए राष्ट्रपति ने अपने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को भी बदल दिया है।  

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तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान में वर्चस्व मई महीने से बढ़ना शुरू हुआ है। जैसे ही अमेरिका सैनिकों की अफ़ग़ानिस्तान से स्वदेश वापसी शुरू हुई, वैसी ही तालिबान ने एक बार फिर अपनी जड़ें जमाना शुरू कर दी। इस समय अफ़ग़ानिस्तान का ज़्यादातर हिस्सा तालिबान के कब्ज़े में है। बुधवार को वॉशिंगटन में एक अमेरिकी अधिकारी ने अपने औपचारिक बयान में यह कहा कि तालिबान आने वाले 30 दिनों में काबुल पर कब्ज़ा जमाना शुरू कर सकता है। वहीं 90 दिनों के भीतर तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी पर पूरी तरह से कब्ज़ा हो सकता है।