स्वीडन। इस साल का फिजिक्स नोबेल पुरस्कार अमेरिका के तीन वैज्ञानिक,  जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को दिया गया है। स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। तीनों को यह पुरस्कार इलेक्ट्रिक सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइजेशन की खोज के लिए प्रदान किया गया है।

इस साल के पुरस्कार का विषय क्वांटम टनलिंग था। क्वांटम टनलिंग वह प्रक्रिया है जिसमें कोई कण किसी बाधा (बैरियर) को पार कर जाता है, जबकि सामान्य फिजिक्स के हिसाब से यह असंभव होता है। जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस ने 1984 और 1985 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में एक खास प्रयोग किया था। उन्होंने दो सुपरकंडक्टर से एक बिजली का सर्किट बनाया और इनके बीच पतली परत होने के बावजूद चार्ज किए हुए कणों ने इसे पार कराया था। यह प्रयोग दिखाता है कि क्वांटम प्रभाव बड़े सिस्टम में भी काम कर सकते हैं, और इसे नियंत्रित करना संभव है।

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नोबेल पुरस्कार समारोह आगामी 10 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। इस पुरस्कार के तहत कुल 11 मिलियन स्वीडिश क्राउन (लगभग 1.2 मिलियन डॉलर) की प्राइज मनी भी शामिल है, जिसे विजेताओं के बीच बांटा जाएगा। नोबेल पुरस्कार की स्थापना अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार हुई थी। उन्होंने अपने डायनामाइट के आविष्कार से कमाए धन को विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को सम्मानित करने के लिए समर्पित किया था। फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है और 1901 से 2024 के बीच इसे 118 बार प्रदान किया जा चुका है। कुल 226 वैज्ञानिक इस सम्मान से नवाजे जा चुके हैं।

रॉयल स्वीडिश एकेडमी के अनुसार, इस खोज ने क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम सेंसर जैसी नई तकनीकों को विकसित करने के नए मार्ग खोल दिए हैं। इस तकनीक का भविष्य में सेमीकंडक्टर, कंप्यूटर, माइक्रोचिप्स, चिकित्सा, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपयोग किया जा सकता है। पिछले साल भी आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के जानकार जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन को मशीन लर्निंग के आधार स्तंभ बनाने में योगदान के लिए फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार मिला था।