भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख के कई क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध सहित देश की प्रमुख सुरक्षा चुनौतियों पर बुधवार को विचार-विमर्श शुरू किया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे कर रहे हैं। यह तीन दिन तक चलेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि शीर्ष सैन्य कमांडर जम्मू-कश्मीर की समग्र स्थिति पर भी विचार करेंगे। इस बीच चीन ने कहा है कि भारतीय सीमा पर हालात पूरी तरह स्थिर और नियंत्रण योग्य हैं।

बताया जा रहा है कि  इस सम्मेलन में  मुख्य जोर पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर होगा जहां भारतीय और चीनी सैनिक पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आमने-सामने हैं।

नाम ना बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, "पाकिस्तान और चीन के साथ सीमाओं सहित भारत की सुरक्षा चुनौतियों के सभी पहलुओं पर कमांडरों द्वारा लंबी चर्चा की जाएगी।

भारत और चीन दोनों ने इस क्षेत्र में सभी संवेदनशील इलाकों में अपनी उपस्थिति काफी बढ़ा दी है। यह इस बात का संकेत है कि कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। हालांकि, इस बीच खबर आई थी कि स्थिति को सुलझाने के लिए भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने आपस में बातचीत की थी।

इससे पहले पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच पांच मई को हिंसक झड़प हुई। स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बैठक के बाद दोनों पक्ष अलग हुए। इसके बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी।

कमांडरों का सम्मेलन पहले 13-18 अप्रैल को होने वाला था। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। सम्मेलन का दूसरा चरण जून के अंतिम सप्ताह में होगा।

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध पर भारत ने पिछले हफ्ते कहा कि उसने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति जिम्मेदारी भरा रुख अपनाया है लेकिन चीनी सेना उसके सैनिकों को सामान्य गश्त के दौरान बाधा डाल रही है। समझा जाता है कि भारत और चीन दोनों बातचीत के जरिए इस मुद्दे का हल तलाश रहे हैं।