टोरंटो। कनाडा आम चुनावों के नतीजे आ चुके हैं और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी एक बार फिर बहुमत से चूक गई है। इन चुनावों के नतीजे भी 2019 में हुए पिछले चुनावों के समान ही हैं। यानी इस बार भी लिबरल पार्टी बहुमत से कम रह गयी है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 159 सीटों पर जीत मिली जो कि बहुमत से 11 कम हैं। प्रमुख विपक्षी दल कंजरवेटिव पार्टी को 119 सीटों पर जीत हासिल हुई और एक प्रांतीय पार्टी ब्लॉक क्यूबेकोई को 33 सीटें मिली हैं।

लेकिन सबसे अहम है भारतीय मूल के जगमीत सिंह की NDP को मिला जन समर्थन। उनकी पार्टी को 17.80% वोट प्रतिशत के साथ 25 सीटों पर जीत हासिल हुई है और त्रिशंकु संसद रहने के कारण जगमीत सिंह की NDP फिर से किंगमेकर की भूमिका में आ गई है। जगमीत सिंह को लेफ्ट की तरफ झुकाव वाला माना जाता है और उनका प्रमुख वादा मुफ्त चिकित्सा के साथ मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराना है।

मध्यावधि चुनाव कराते हुए ट्रूडो का ऐसा मानना था कि कोरोना में लिए गए उनके फैसलों से जनता उनके साथ है और उनको स्पष्ट बहुमत मिल जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अगर चुनावी नतीजों पर नजर डाली जाए तो स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि कनाडा में अंदरूनी विभाजन की रेखाएं गहरी होती जा रही हैं। जहां ट्रूडो की पार्टी ने 5 बड़े शहरों Toronto, Montreal, Ottawa, Vancouver, Halifax में 99 सीटों पर जीत हासिल की है, वहीं विपक्षी दक्षिणपंथी कंज़र्वेटिव पार्टी को केवल 11 सीट ही मिली हैं। इन बड़े शहरों में भारतीय मूल के और दूसरे प्रवासी नागरिकों की संख्या सबसे ज्यादा है और यह लिबरल पार्टी की उदार नीतियों के कारण उनके समर्थक माने जाते हैं। दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में जहां श्वेत यूरोपीय जनसंख्या ज्यादा है वहां कंजरवेटिव पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें प्राप्त हुई है।

चुनाव विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि राज्यों में विभाजन गहरा हो गया है। पृथक पश्चिमी कनाडा की मांग करने वाले दो तेल उत्पादक राज्यों में लिबरल पार्टी का सफाया हो गया है और 48 में से केवल 2 सीट मिली हैं। इस सबके चलते प्रधानमंत्री ट्रूडो के इस्तीफे की मांग भी उठने लग गयी है। ऐसे में जगमीत सिंह की पार्टी NDP की भूमिका अहम हो गई है। ये तो तय है कि उनकी पार्टी के समर्थन के बिना अब किसी नई सरकार का गठन नहीं हो सकता।

भारत से कनाडा उच्च शिक्षा के लिए आने वाले छात्रों और इमिग्रेशन की चाहत रखने वालों के लिए लिबरल पार्टी और NDP का जीतना राहत की बात है क्योंकि उनकी इस बारे में उदारवादी नीति रही है। लेकिन सरकार के लिए NDP का बढ़ता प्रभाव थोड़ी चिंता का विषय ज़रूर हो सकता है। जगमीत सिंह ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन को न सिर्फ खुला समर्थन दिया था बल्कि सोशल मीडिया पर पूरा कैम्पेन चलाया था। अपनी पार्टी में एक संकल्प भी पास किया था और प्रधानमंत्री ट्रूडो पर दबाव बनाया था कि वह भी भारत में किसान आंदोलन के खिलाफ हुई हिंसा की आलोचना करें।

अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर NDP के लिए मुख्य मुद्दा भारत के किसान आंदोलन का समर्थन ही है। अपने बढ़े हुए राजनीतिक प्रभाव के चलते आगे भी वो इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए कनाडा के प्रधानमंत्री को बाध्य कर सकते हैं। ऐसे में भारत की ओर से उचित जवाब भी अपेक्षित होगा। जो भी हो इतना तो तय है कि कनाडा की नीतियों में अब लेफ्ट लिबरल प्रभाव देखने को मिलेगा।