ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) के वरिष्ठ नेता दामोदर सिंह यादव ने कहा कि चाहे कितना भी संघर्ष क्यों न करना पड़े, लेकिन अंबेडकर जी की मूर्ति हाईकोर्ट परिसर में लगाकर ही रहेंगे। भीम आर्मी ने 2 जून को ग्वालियर कूच का भी ऐलान किया है।
भोपाल में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दामोदर यादव ने कहा कि देश का न्यायिक तंत्र जिस संविधान पर आधारित है, उसके निर्माता डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा लगाने का विरोध किया जाना इस बात का प्रमाण है कि जातिगत भेदभाव अब भी जीवित है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि न्यायपालिका संविधान से चलती है, किसी धार्मिक ग्रंथ से नहीं। अगर संविधान निर्माता की मूर्ति अदालत में नहीं लगेगी तो और किसकी लगेगी?
यादव ने बताया कि हाईकोर्ट परिसर में प्रतिमा स्थापना की पूरी तैयारी हो चुकी है। मूर्ति तैयार है और चबूतरा भी बन चुका है। उन्होंने कहा कि अब यह लड़ाई सिर्फ एक प्रतिमा की नहीं, बल्कि संविधान और सामाजिक न्याय के सम्मान की है। जब तक मूर्ति नहीं लगती, आंदोलन जारी रहेगा। भीम आर्मी नेता ने घोषणा की कि वे 2 जून को ग्वालियर पहुंचेंगे। इस दिन संभाग के सभी जिलों से कार्यकर्ता एकत्र होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने मूर्ति स्थापना की इजाजत नहीं दी तो सभी चौक-चौराहों को बंद कर दिया जाएगा।
दामोदर यादव ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र लिखकर पूरे देश के न्यायालय परिसरों में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द हस्तक्षेप करे ताकि ग्वालियर में वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न न हो।
दरअसल, इस विवाद की शुरुआत 19 फरवरी, 2025 को हुई थी। जब वकीलों के एक समूह ने चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत को ग्वालियर हाईकोर्ट में अंबेडकर प्रतिमा स्थापित करने के लिए एक ज्ञापन सौंपा था। हालांकि हाईकोर्ट की सात सदस्यीय बिल्डिंग कमेटी ने सुरक्षा और अनुशासन का हवाला देते हुए प्रतिमा स्थापना की अनुमति देने से इनकार कर दिया। बार एसोसिएशन का एक वर्ग इस फैसले का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा वर्ग इसे संविधान निर्माता के सम्मान का मुद्दा बताकर विरोध में खड़ा है।